बाराबंकी: खाद-बीज व्यापारियों का छापेमारी और उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
बाराबंकी, अमृत विचार। हाल ही में कृषि विभाग द्वारा व्यापारियों की दुकानों पर की जा रही छापेमारी, लाइसेंस निलंबन और ईसीए एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने जैसी कठोर कार्रवाई के विरोध में व्यापारियों ने आज प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया और अपनी दुकानें बंद रखीं।
व्यापारियों ने आरोप लगाया कि विभाग की कार्रवाइयों से प्रदेशभर में भय का माहौल बन गया है, जिससे वे मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। उनकी मांग है कि अनावश्यक दबाव डालने के बजाय विभाग को वस्तुस्थिति को समझना चाहिए। इनकी मांग है कि निर्माता कंपनियाँ यूरिया खाद को 250 से 252 रुपये की दर से बिल करती हैं, जबकि सरकार ने खुदरा मूल्य 266.50 रुपये निर्धारित कर रखा है।
इसमें भी उन्हें मात्र 6 से 8 रुपये प्रति बोरी ढुलाई भाड़ा दिया जाता है, जबकि वास्तविक लागत 15 से 20 रुपये तक आती है। इसके अतिरिक्त लोडिंग-अनलोडिंग का खर्च भी 6 से 10 रुपये आता है। नियमों के अनुसार यह माल फॉर (Free on Rail/Road) सुविधा के तहत रिटेलर तक पहुंचना चाहिए, परंतु कंपनियाँ यह सुविधा नहीं दे रही हैं।
आरोप है कि कंपनियाँ यूरिया के साथ 40-50 फीसदी तक महंगे उत्पाद जबरन टैग कर रही हैं, जिनका मूल्य बाजार से 20 से 30 फीसदी अधिक होता है। इन उत्पादों की मांग कम होने के कारण यह गोदामों में लंबे समय तक पड़े रहते हैं, जिससे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। मांग की कि सरकार स्पष्ट रूप से होलसेलर और रिटेलर का मुनाफा तय करे ताकि पारदर्शिता बनी रहे और व्यापारी मनमानी के आरोपों से बच सकें।
व्यापारी संगठनों ने विरोध जताया कि जिन उत्पादों की बिक्री की अनुमति लखनऊ स्थित निदेशालय द्वारा दी गई है, उन्हीं उत्पादों को लेकर फील्ड स्तर पर कार्यवाही हो रही है। यदि गुणवत्ता में कमी है, तो इसका जिम्मेदार निर्माता है, न कि वह व्यापारी जो वैध तरीके से माल खरीदकर बेच रहा है। इस दौरान एग्रो इनपुट एग्रो डीलर्स एसोसिएशन बाराबंकी के अध्यछ अनुपम अग्रवाल, महामंत्री दिग्विजय सिंह, कोषाध्यक्ष अवधेश वैश्य, संगठन मंत्री नितेश वैश्य, उपाध्यक्ष प्रवेश वर्मा आदि व्यापारी उपस्थित रहे।
