पीलीभीत: पाठशाला तो विलय कर दी, मगर जंगली जानवरों से बढ़ा बच्चों को खतरा

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Published By Monis Khan
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पीलीभीत, अमृत विचार। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा 50 बच्चों से कम नामांकन वाले स्कूलों का समीपस्थ परिषदीय विद्यालयों में विलय किया गया है। विभाग द्वारा किए गए परिषदीय विद्यालयों के विलय पर तमाम अभिभावकों ने सवाल उठाने खड़े कर दिए गए हैं। ऐसा ही एक मामला पूरनपुर ब्लाॅक के प्राथमिक विद्यालय मथना जप्ती का सामने आया है। इधर स्कूल विलय के विरोध में बुधवार को तमाम ग्राम प्रधान भारतीय किसान यूनियन टिकैत के युवा जिलाध्यक्ष गुरदीप सिंह गोगी के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और डीएम से मुलाकात कर समस्या बताई।

डीएम को सौंपे गए पत्र में कहा गया कि प्राथमिक विद्यालय मथना जप्ती का विलय प्राथमिक विद्यालय रानीगंज में किया गया है, जो बच्चों की सुरक्षा के हित में नहीं है। प्राथमिक विद्यालय मथना जप्ती सड़क के किनारे है। पूरा क्षेत्र जंगल से सटा हुआ है और हर समय बाघ समेत अन्य जंगली जानवरों का खतरा मंडराता रहता है। प्राथमिक विद्यालय मथना जप्ती में दो किमी दूर जंगल किनारे बसे गांव पुरैनी दीपनगर के बच्चे भी पढ़ते हैं। ऐसे में इन बच्चों को अब 4 किमी दूर प्राथमिक विद्यालय रानीगंज पढ़ने के जाना होगा।

यह भी कहा गया कि बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से प्राथमिक विद्यालय मथना जप्ती बेहतर है। लोकसभा, विधानसभा के पोलिंग बूथ भी इसी विद्यालय में हैं। अन्य सरकारी कामकाज भी यही होते आ रहे हैं। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए प्राथमिक विद्यालय मथना जप्ती का विलय किसी अन्य स्कूल में न किया जाए। इधर भाकियू के युवा जिलाध्यक्ष ने कहा कि ग्रामीण अंचलों के बच्चों के हितों के लिए भारतीय किसान यूनियन सदैव तत्पर है। यदि इसमें संशोधन नहीं किया गया तो आंदोलन किया जाएगा। डीएम को पत्र सौंपने वालों में ग्राम प्रधान सुखलाल, पूर्व प्रधान नोखेलाल, बलविंदर सिंह, राकेश कुमार, रामचंद्रलाल, सुशील कुमार, छोटेलाल आदि मौजूद रहे।

शासन ने पचास से कम नामांकन संख्या वाले स्कूलों को पास के स्कूलों में युग्मन करने की प्रक्रिया शुरू की है। नए शिक्षा सत्र के साथ ही 1 जुलाई से यह प्रक्रिया प्रभावी हो गई है। पूरनपुर क्षेत्र के करीब 36 स्कूलों का पड़ोस के स्कूलों में समायोजन भी कर दिया गया। इससे कई गांवों से दूसरे स्कूलों की दूरी बढ़ गई है। बच्चों को आने जाने में परेशानी होने पर अभिभावकों को उनके भविष्य की चिंता सताने लगी है। बुधवार को काली नगर तहसील क्षेत्र के गांव बरुआ कुठारा के दर्जनों ग्रामीण इस समस्या को लेकर पूरनपुर पहुंचे। उन्होंने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। इसके बाद वह पूरनपुर विधायक बाबूराम पासवान से मिलने पहुंचे। 

विधायक के न मिलने पर उनके पुत्र ऋतुराज पासवान को ग्रामीणों ने समस्या से अवगत कराया और गांव में ही स्कूल का संचालन कराए जाने की मांग की। इसके अलावा ग्रामीणों ने बीआरसी पहुंचकर खंड शिक्षा अधिकारी विजय वीरेंद्र सिंह कहा कि गांव बरुआ कुठारा का प्राथमिक स्कूल अब फैजुल्लागंज के स्कूल में विलय कर दिया गया है। फैजुल्लागंज की दूरी लगभग दो से तीन किलोमीटर है। बच्चों को घना जंगल और सुतिया नाला पार करना पड़ता है, जिससे उन्हें खतरा बना रहेगा।

 ग्रामीणों ने स्कूल गांव में ही संचालित करने की मांग की है। दो दिन पहले रसूलपुर पचपुखरा के ग्रामीणों ने एसडीएम को पत्र सौंपकर गांव का स्कूल दूसरे गांव में समायोजित न करने की मांग की थी। इसके अलावा गांव रुरिया ताल्लुके गजरौला के गांव का भी प्राइमरी स्कूल बंद कर दिया गया। करीब दो किमी दूर कढ़ेरचौरा में स्कूल का युग्मन कर दिया गया। इससे बच्चों को हाइवे से होकर गुजरना पड़ेगा। अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। गांव में ही संचालित स्कूल में शिक्षण कार्य करने की मांग की है।

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