लखनऊ : अब सहायक आचार्य बनने के लिए लिखित परीक्षा भी देनी होगी
लखनऊ, अमृत विचार। अब उत्तर प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में सहायक आचार्य पद पर चयन केवल साक्षात्कार के आधार पर नहीं, बल्कि लिखित परीक्षा (सब्जेक्टिव टाइप) एवं साक्षात्कार के संयुक्त अंकों के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए ''उप्र. उच्चतर शिक्षा (समूह ''क'') सेवा (तृतीय संशोधन) नियमावली-2025'' को प्रख्यापित किए जाने को मंजूरी दी गई। लोकभवन लखनऊ में गुरुवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में उच्च शिक्षा विभाग से जुड़ा यह महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि वर्तमान में सहायक आचार्य पद पर चयन की प्रक्रिया उप्र. उच्चतर शिक्षा (समूह ''क'') सेवा नियमावली, 1985 के नियम 15(3) के अंतर्गत केवल इंटरव्यू के माध्यम से की जाती थी। यह पद समूह ''क'' श्रेणी का महत्वपूर्ण पद है, जो विद्यार्थियों की शिक्षा, शोध और उनके भविष्य को प्रभावित करता है। ऐसे में यह आवश्यक हो गया था कि चयन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष तथा गुणवत्तापूर्ण बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि केवल साक्षात्कार के आधार पर चयन में पक्षपात की संभावनाएं बनी रहती थीं, जिससे कई बार योग्य अभ्यर्थियों को न्याय नहीं मिल पाता था। नई संशोधित व्यवस्था में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार दोनों के माध्यम से अभ्यर्थियों का समग्र मूल्यांकन होगा, जिससे न केवल उनके विषय ज्ञान की परख हो सकेगी, बल्कि उनके शिक्षण कौशल एवं शोध क्षमता का भी आकलन किया जा सकेगा। इससे राजकीय महाविद्यालयों में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षकों का चयन संभव हो सकेगा, जो शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक होगा। यह संशोधन उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा नियमावली, 1985 के भाग-5 के नियम 15(3) में किया गया है, और संविधान के अनुच्छेद 309 के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग को प्राप्त अधिकारों के तहत पारित किया गया है। नियमावली में किया गया यह संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
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