लखीमपुर खीरी : कड़े विरोध के बीच बुलडोजर चलाकर प्रशासन ने ढहाए 30 घर

Amrit Vichar Network
Published By Pradeep Kumar
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कोर्ट के आदेश पर 49 परिवारों को बेदखल करने पहुंची टीम

बेलरायां, अमृत विचार: कोतवाली तिकुनिया के गांव बरसोला कलां में 49 परिवारों को कोर्ट के आदेश पर बेदखल करने पहुंची राजस्व विभाग और पुलिस टीम को एक बार फिर कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। पीड़ित परिवारों के समर्थन में तमाम ग्रामीण भी उतर आए। पीड़ित परिवारों और ग्रामीणों का कहना था कि पीड़ित परिवारों को पहले कहीं बसाया जाय। उसके बाद उन्हें उजाड़ा जाए। पुलिस और ग्रामीणों के बीच टकराव की स्थित बन गई। हालांकि प्रशासन ने सूझबूझ से काम लिया और किसी तरह से लोगों को शांत कराकर 30 से अधिक घरों को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया। अन्य घरों पर बुधवार को बुलडोजर चलाया जाएगा।

मंगलवार को एसडीएम राजीव निगम, उच्च न्यायालय के अमीन कमिश्नर वीरेंद्र कुमार, पवन अग्रवाल, प्रभारी निरीक्षक अमित सिंह भदौरिया और भारी पुलिस बल के साथ बुलडोजर लेकर गांव पहुंचे। भारी पुलिस बल के साथ अफसरों और बुलडोजर देखकर पीड़ित परिवारों की महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सड़क पर आ गए और घरों को ढहाने का विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि इस जमीन को खरीद कर घर बनवाए थे। उन्हें पहले कहीं जमीन देकर कहीं बसाया जाए। उसके बाद उजाड़ा जाए। काफी देर तक चली गहमागहमी और विरोध के बीच दोपहर करीब 12 बजे मकानों और घरों को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई। प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर सगीर अहमद, शब्बीर, मुख्तार, मुमताज, मुस्ताक सहित 30 से अधिक घरों को ध्वस्त कर दिया।
 
पीड़ित बोले, हमने जमीन पर नहीं किया था अवैध कब्जा
घर ढहाए जाने के बाद पीड़ितों का रो-रोकर बुरा हाल है। बरसात का सीजन होने के कारण उनके पास सिर छिपाने की जगह नहीं बची है। उनका घरेलू सामान भी खुले में सड़कों आदि के किनारे रखा हुआ है। पीड़ितों का कहना है कि हम लोगों ने जमीन पर कोई कब्जा नहीं किया था। वादी मोहर्रम अली के पिता अब्दुल करीम से करीब 40 साल पहले जमीन खरीदी थी, जिसके लिखा पढ़ी स्टांप और कागज पर हुई थी। बहुत लोगों के पास लिखा पड़ी है। इसके कुछ समय बाद गांव में लगी आग से तमाम लोगों के पास रखी लिखापढ़ी अन्य सामानों के साथ भी जल गई। इसी का फायदा उठाते हुए  बेईमानी करते हुए पिता अब्दुल करीम ने न्यायालय में मुकदमा कर दिया। क्षेत्रीय लेखपाल संजय कुमार ने बताया 43 परिवार हैं, जिनमें 37 घर हैं। जिसकी पैमाइश की जा चुकी है ग्राम प्रधान पति मोहर्रम अली ने बताया ग्रामीणों को बगैर सूचना के सामान निकालने का भी मौका नहीं दिया गया और प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी गई। प्रशासन ने कोई नोटिस भी नहीं दी गई। जिसके चलते ग्रामीण अब कहां जाएंगे। बारिश के मौसम में कोई ठिकाना नहीं बचा है।  

यह है मामला
ग्राम पंचायत बरसोला कलां निवासी अब्दुल करीम के पुत्र मोहर्रम ने बताया कि उनके पिता ने गांव में ही वर्ष 1978 में एक एकड़ नौ डिसमिल जमीन खरीदी थी। जिस पर 49 लोगों ने कब्जा कर घर बना लिया। 1988 में एसडीएम कोर्ट में शिकायत की गई। कोर्ट ने उसके हक में फैसला सुनाया, लेकिन उसे कब्जा नहीं मिल सका। सिविल कोर्ट ने वर्ष 2016 व 2018 में कब्जा दिलाने का आदेश दिया, फिर भी उसे कब्जा नहीं मिल सका। इस पर वह उच्च न्यायालय गए, जहां से जनवरी 2025 में सिविल न्यायालय को काबिज सभी 49 कब्जेदारों को बेदखल करने के आदेश दिए हैं। इस जमीन पर कच्चे और पक्के मकान भी बने हुए है।

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