Diabetes: मधुमेह के मरीजों के लिए और आरामदायक बनेंगे इनसोल, केजीएमयू में हुई शुरुआत

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों के पैरों में जख्म (अल्सर) होना एक आम समस्या है, जिसे डायबिटिक फुट अल्सर कहा जाता है। यह समस्या तब होती है जब उच्च रक्त शर्करा (हाई ब्लड शुगर) के स्तर के कारण पैरों की नसों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे पैरों में सुन्नता और संवेदना कम हो जाती है। 

इस स्थिति में मरीज को जूते पहनने में दिक्कत आती है। सामान्य जूतों से जख्म गहरा होने का खतरा रहता है। जिससे मरीज की पीड़ा बढ़ जाती है। अब किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के पीएमआर (फिजिकल मेडिसिन एण्ड रिहैबिलिटेशन) विभाग में फुट प्रेशर एनालसिस मशीन स्थापित हुई है। इससे सेंसर के माध्यम से जूते के इनसोल (पैताबा) तैयार हो सकेंगे।

प्रोस्थेटिक ऑर्थोटिक यूनिट की प्रभारी शगुन सिंह ने बताया मशीन को विभाग में स्थापित करा दिया गया है। इसकी शुरुआत भी हो गई है। इस मशीन के माध्यम से जूते व चप्पल का इनसोल तैयार किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि डायबिटीज मरीजों के लिए खास तरह के जूते-चप्पल तैयार किए जाते हैं। बहुत से मरीज पैरों में जलन की शिकायत करते हैं। 

खिलाड़ियों को भी अलग प्रकार के जूतों की जरूरत होती है। सेंसर मशीन पर मरीजों को खड़ा करते हैं। ग्राफिकल इम्प्रेशन स्टडी करते हैं। जूते के किस हिस्से पर पैरों का दबाव अधिक आ रहा है, मशीन के जरिए इसका सटीक आंकलन किया जा सकता है। इसके आलावा टेढ़े घुटनों को सीधा करने के लिए जेन्यु वेलगम ब्रेस का भी सटीक आंकलन कर आरमदायक बनाया जा सकेगा।

विभाग के प्रमुख डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया केजीएमयू में दिव्यांगों को बेहतर इलाज मिल रहा है। आधुनिक मशीनों से और बेहतर कृत्रिम व सहायक उपकरण तैयार करने में मदद मिलेगी। दिव्यांगों को जागरुक कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है। उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत करने की जरूरत है। डॉ. अनिल ने बताया इंसोल व जूते को आकार देने के लिए मोल्डिंग व हीटिंग मशीन भी आई है।

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