योगी सरकार सख्त : जाली परमिट पर बस संचालन पर कड़ी जांच शुरू

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Published By Vinay Shukla
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अमृत विचार, लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत-नेपाल सीमा पर जाली परमिट के माध्यम से अवैध बस संचालन पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने बताया कि अलीगढ़, बागपत और महराजगंज में जाली परमिट की पुष्टि हुई है, जिसके बाद संबंधित एआरटीओ ने एफआईआर दर्ज कराने के साथ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।

परिवहन समझौते का उल्लंघन : परिवहन आयुक्त ने बताया कि कुछ निजी बसें जाली परमिट के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मार्ग पर अवैध रूप से संचालित हो रही थीं। जांच में पता चला कि ये परमिट संभागीय परिवहन प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं किए गए थे। इसके अलावा, गोरखपुर, इटावा और औरैया में भी ऐसे परमिट प्रस्तुत किए गए हैं जो भारत-नेपाल यात्री परिवहन समझौता, 2014 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।

कड़ी कार्रवाई के निर्देश : परिवहन आयुक्त ने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर तीन जिलों में दर्ज प्रकरणों की एसटीएफ से जांच कराने का अनुरोध किया है। साथ ही, विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। परिवहन आयुक्त ने स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय मार्ग पर संचालन के लिए केवल गंतव्य देश की दूतावास/कांसुलेट द्वारा Form-C में निर्गत परमिट ही वैध होता है।

आगे की कार्रवाई : परिवहन आयुक्त ने भारत सरकार को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि MEA भारतीय एवं नेपाली दूतावासों द्वारा निर्गत सभी Form-C परमिटों की सूची सभी प्रवर्तन एजेंसियों को समय पर साझा करे। साथ ही, एनआईसी के माध्यम से ऐसा पोर्टल विकसित किया जाए जिसमें भारत-नेपाल सीमा पर प्रस्तुत परमिटों की रीयल-टाइम जांच की जा सके।

जिम्मेदारों की सुनें : यूपी परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने बताया कि जाली दस्तावेजों के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा नियंत्रण के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही फेसलेस परमिट प्रणाली की कार्यप्रणाली में भी आवश्यक तकनीकी सुधार की प्रक्रिया शुरू करने के लिए भारत सरकार MoRTH को लिखा गया है।

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