लिवर कैंसर से हर साल 1.5 करोड़ लोग गंवा रहे अपनी जान, लांसेट रिपोर्ट में हुआ खुलासा, बताए मौत के प्रमुख तीन कारण
नई दिल्ली: एक नए शोध के अनुसार, यकृत कैंसर (liver cancer) के पांच में से तीन से अधिक मामलों को हेपेटाइटिस (यकृत की सूजन), अत्यधिक शराब का सेवन और नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर जैसी समस्याओं पर काबू पाकर रोका जा सकता है। यह जानकारी ‘द लैंसेट कमीशन’ की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में सामने आई है। नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर वह स्थिति है, जिसमें बिना शराब के अत्यधिक सेवन के भी यकृत में चर्बी जमा हो जाती है। यह रिपोर्ट हांगकांग कैंसर संस्थान, फुडान विश्वविद्यालय और चीन, दक्षिण कोरिया, अमेरिका व यूरोप के अन्य शोधकर्ताओं की टीम ने तैयार की है।
शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि यकृत कैंसर के मामलों में ‘मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-असोसिएटेड स्टीटोहेपेटाइटिस’ (यकृत में अत्यधिक चर्बी जमा होने की बीमारी) के कारण 35 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। ‘जर्नल ऑफ हेपेटोलॉजी’ में 2022 में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, यकृत कैंसर 46 देशों में कैंसर से होने वाली मौतों के तीन प्रमुख कारणों में शामिल है।
हांगकांग की चाइनीज यूनिवर्सिटी के क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और रिपोर्ट के लेखक स्टीफन चा ने बताया कि देश हेपेटाइटिस, शराब की लत और मोटापे जैसे जोखिम कारकों पर ध्यान देकर यकृत कैंसर को रोक सकते हैं और लाखों लोगों की जान बचा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि खास तौर पर अमेरिका, यूरोप और एशिया में मधुमेह और मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए यकृत में चर्बी जमा होने की बढ़ती समस्या को लेकर सार्वजनिक, चिकित्सकीय और नीतिगत स्तर पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
वैश्विक स्तर पर बढ़ती आबादी और जोखिम कारकों के प्रसार के कारण यकृत कैंसर के मामलों में वृद्धि की आशंका है। अध्ययनों के अनुसार, 2040 तक यकृत कैंसर के मामलों में करीब 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। ‘द लैंसेट कमीशन’ की रिपोर्ट में यकृत कैंसर के वार्षिक मामलों में 2 से 5 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे लगभग 1.7 करोड़ मामलों और 1.5 करोड़ मौतों को रोका जा सकता है। इसके लिए हेपेटाइटिस-बी और हेपेटाइटिस-सी के लिए टीकाकरण और जांच को बढ़ावा देने, साथ ही शराब की खपत पर नियंत्रण के लिए नीतियां लागू करने की सिफारिश की गई है।
