KGMU में करोड़ों का बजट होने के बाद भी नहीं खरीद रहे मशीनें, PPP मोड पर हो रहा मशीनों का संचालन
लखनऊ, अमृत विचार: केजीएमयू में करोड़ों रुपये का बजट है, इसके बावजूद मरीजों की जांच के लिए जरूरी मशीनों की खरीद नहीं की जा रही है। मशीनों का संचालन पीपीपी मोड पर किया जा रहा है। इसमें निजी कंपनियां मोटी कमाई कर रही हैं। बिल समेत दूसरे संसाधनों के लिए भुगतान केजीएमयू कर रहा है।
केजीएमयू का वार्षिक बजट 1843.70 करोड़ रुपये है। सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में उपकरणों के मद का बजट दोगुना कर दिया है। इसके बावजूद संस्थान में सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, ईसीजी, लीथोट्रॉप्सी समेत दूसरी मशीनों का संचालन पीपीपी मोड पर किया जा रहा है।
150 से अधिक लैब टेक्नीशियन 20 से अधिक डॉक्टरों के बावजूद पैथोलॉजी पीपीपी मोड पर चलाई जा रही है। कंपनी को वार्ड में जाकर मरीज का ब्लड सैंपल लेने का नियम है, लेकिन मरीजों को पैथोलॉजी बुलाया जाता है। कंपनियां केजीएमयू के संसाधनों से मोटी कमाई कर रही हैं।
दो डॉक्टरों पर लगा आरोप
केजीएमयू के दो डॉक्टरों पर कंपनी बनाकर टेंडर हथियाने के आरोप लगे हैं। इस कंपनी के एक सदस्य की शिकायत पर राज्यपाल ने रिपोर्ट तलब की है। टीबी एंड चेस्ट रोग व सर्जरी विभाग के दो डॉक्टरों पर आरोप लगे हैं। इनमें से एक डॉक्टर ने अपने रिश्तेदार से कंपनी बनवाई और 10 साल के लिए टेंडर हथिया लिया।
सितंबर में कंपनी के 10 साल पूरे हो रहे हैं। अब दोनों डॉक्टर टेंडर बढ़वाने की जुगत में लगे हैं। केजीएमयू अधिकारियों का कहना है कि कंपनियों ने मिलीभगत कर टेंडर की अवधि 10 साल कराई। साथ ही सीटी स्कैन समेत दूसरी मशीनों के संचालन में आ रहे बिजली के बिल का भुगतान केजीएमयू के खाते में डाल दिया है। केजीएमयू को सिर्फ मीटर उपलब्ध कराने का जिक्र टेंडर में किया गया था। राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद केजीएमयू प्रशासन ने पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार कर रहा है।
