बरेली को कई धर्मनगरियों से सीधे रेल सेवा से जोड़ने का प्रस्ताव
बरेली, अमृत विचार। पूर्वोत्तर रेलवे बरेली से कई धर्मनगरियों को रेल सेवा जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। बरेली से वैष्णो देवी, कामाख्या देवी और जैनियों के तीर्थस्थल शिखर जी के लिए सीधे ट्रेन चलाने का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा है। इसके साथ ही काठगोदाम से नई दिल्ली और इज्जतनगर से चंडीगढ़ के बीच सप्ताह में छह दिन वंदेभारत ट्रेन चलाने का भी प्रस्ताव शामिल है।
उत्तर रेलवे ने मेरठ-लखनऊ वंदेभारत का विस्तार वाराणसी तक वाया अयोध्या करके बरेली के श्रद्धालुओं की इन दोनों प्रमुख धार्मिक नगरियों तक पहुंच आसान कर दी है। पूर्वोत्तर रेलवे ने यात्रियों की सुविधा और कनेक्टिविटी को देखते हुए बरेली से नई ट्रेनों के प्रस्ताव तैयार किए हैं। इसमें काठगोदाम से नई दिल्ली वंदे भारत ट्रेन सप्ताह में 6 दिन, कासगंज से नई दिल्ली सीधी ट्रेन सप्ताह में 4 दिन, कासगंज से वाराणसी सप्ताह में 3 दिन और लालकुआं से टनकपुर, पारसनाथ व कामाख्या तक नई साप्ताहिक ट्रेनों का प्रस्ताव शामिल है। इसके अलावा इज्जतनगर से चंडीगढ़ वंदे भारत सप्ताह में 6 दिन, कासगंज से चित्रकूट, काठगोदाम से ऋषिकेश तथा इज्जतनगर से श्री माता वैष्णो देवी कटरा के लिए भी नई ट्रेनों का सुझाव दिया गया है।
एनईआर के सीनियर डीसीएम संजीव शर्मा के अनुसार जल्द ही कुछ नई ट्रेनों के संचालन का प्रस्ताव तैयार करके मुख्यालय भेजा गया है। इन ट्रेनों के चलने से कुमाऊं, बरेली, बदायूं, फर्रुखाबाद, गोंडा, वाराणसी, झांसी, राजकोट समेत उत्तर भारत के कई शहरों को सीधी रेल सुविधा मिलेगी।
आरक्षित बोगियां फुल, जनरल कोचों में भी नहीं बैठने की जगह
रेलवे स्टेशनों पर इन दिनों ट्रेनों में अत्यधिक भीड़ देखने को मिल रही है। खासकर जनरल कोच ठसाठस भरे हुए हैं, जिससे आम यात्रियों को सफर में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादातर ट्रेनों की आरक्षित बोगियां पहले से ही फुल चल रही हैं, वहीं जनरल कोचों में हालत यह है कि बैठने तो दूर, खड़े होने की जगह भी मुश्किल से मिल रही है। बरेली जंक्शन पर हर रोज लगभग पांच से छह हजार जनरल टिकट बिक रहे हैं। रेल अधिकारियों के अनुसार, टिकट बिक्री से इन टिकटों से यात्रा करने वालों की संख्या वास्तविक से डेढ़ गुना या उससे भी अधिक होती है। यानी पांच हजार टिकट पर सात से आठ हजार यात्री जनरल कोच में सवार हो रहे हैं। इससे कोचों में ठसाठस भीड़ बढ़ रही है। लंबी दूरी की ट्रेनों में हालात और भी खराब हो जाते हैं।
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