UP : इस इलाके में भीषण बाढ़ का कहर, 30 हजार की आबादी कर रही त्राहिमाम
लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। लगातार बारिश और बनबसा बैराज से छोड़े गए पानी ने धौरहरा तहसील क्षेत्र में तबाही मचा दी है। शारदा और घाघरा नदी उफान पर होने से करीब 50 गांवों में पानी भर गया है। इससे लगभग 30 हजार की आबादी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
बाढ़ का पानी मड़वा, संतरामपुरवा, कैरातीपुरवा, बनटुकरा, बंशीबेली, मांझासुमाली, चहलार, नयापुरवा, चिकनाजती, रैनी समदहा, सरगड़ा, हरदी, खगियापुर, मिलिक सहित कई गांवों में घुस चुका है। ग्रामीणों के घरों में रखा अनाज भीगकर खराब हो गया है। मजबूर बाढ़ पीड़ित चारपाई और बैलगाड़ियों पर चूल्हा सुलगाकर किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं। हालांकि प्रशासन राहत कार्यों में जुटा हुआ है।
तहसीलदार आदित्य विशाल, एसडीएम शशिकांत मणि और स्वास्थ्य विभाग की टीम नाव और पानी में उतरकर बाढ़ पीड़ितों तक राहत पहुंचा रही है। तहसीलदार आदित्य विशाल ने बताया कि वे खुद गांव-गांव जाकर लंच पैकेट वितरित करा रहे हैं और जल्द ही राशन किट भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
दो हजार एकड़ फसलें बर्बाद, किसानों को दोहरा झटका
धौरहरा। बाढ़ से जनजीवन के साथ-साथ किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। क्षेत्र में करीब 2,000 एकड़ धान, उरद, मूंगफली, गन्ना और केले की फसलें नष्ट हो गई हैं। घरों में रखा अनाज सड़ जाने से लोगों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है। तहसीलदार आदित्य विशाल ने बताया कि लेखपालों के माध्यम से फसलों के नुकसान का सर्वे कराया जा रहा है। प्रभावित किसानों को नियमानुसार अहेतुक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी और बाढ़ पीड़ितों को राहत किट भी वितरित की जा रही हैं।
ढकिया गांव में दुर्गा मंदिर के पास पहुंची शारदा
तराई क्षेत्र के किसानों की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रहीं। पहले बाढ़ की मार और अब शारदा नदी की कटान ने किसानों को दोहरी मार दी है। ढकिया गांव में नदी का पानी घटने के साथ ही कटान तेज हो गया है। इससे न सिर्फ किसानों की गन्ना और धान की फसलें बर्बाद हो रही हैं, बल्कि धार्मिक स्थल भी खतरे में हैं। ढकिया गांव में कटान करते हुए नदी दुर्गा मंदिर तक पहुंच सकी है।
नदी किनारे स्थित धार्मिक स्थलों पर भी खतरा मंडरा रहा है। शिव मंदिर पहले ही नदी की धारा में समा चुका है, जबकि दुर्गा माता मंदिर अब महज 15 मीटर की दूरी पर है। ग्रामीणों को डर है कि अगर कटान की रफ्तार नहीं थमी तो यह मंदिर भी नदी में समा जाएगा। गांव के किसान बताते हैं कि उन्होंने कर्ज लेकर धान और गन्ना की खेती की थी, लेकिन बाढ़ ने उनकी मेहनत डुबो दी। अब कटान के चलते खेत लगातार नदी में समा रहे हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है।
अमर सिंह ने बताया कि उनकी करीब दो एकड़ जमीन नदी में कट रही है, जिससे घर का गुजारा मुश्किल हो गया है। शिव प्रसाद यादव का कहना है कि बाढ़ का पानी खेतों में भर गया, जिससे फसलें जलमग्न हो गई हैं। कमलेश कुमार ने बताया कि उनकी तीन बीघा जमीन पर धान और गन्ना लगा था, लेकिन अब फसल कटान और जलभराव की भेंट चढ़ गई है। किसानों का कहना है कि खेती ही उनका मुख्य सहारा है। अच्छी फसल की उम्मीद में उन्होंने कर्ज लिया था, लेकिन प्राकृतिक आपदा ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। अब उनके सामने परिवार का पालन-पोषण और कर्ज चुकाने की दोहरी चुनौती है।
