काशी में प्रबोधिनी एकादशी पर बारिश पर भारी पड़ी आस्था, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, जानें पुजा का महत्व
वाराणसी। धार्मिक नगरी काशी में प्रबोधिनी एकादशी के दिन शनिवार को गंगा घाटों पर बारिश के बावजूद स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही उमड़ पड़ी। प्रबोधिनी एकादशी को देवउठनी एकादशी और हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। यह तिथि श्रीहरि के चार माह की योगनिद्रा से पुनः जागरण का दिन होती है।
आचार्य शंभू शरण ने बताया कि प्रबोधिनी एकादशी के दिन पवित्र नदियों या कुंडों, तालाबों में स्नान का विधान है। गंगा में अगर स्नान का सौभाग्य प्राप्त हो तो समझ लें कि तीर्थ स्नान के फल की प्राप्ति हो गई। स्नान के समय एक चुटकी तिल अर्पित किया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को ही प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं। गन्ने का मंडप बनाकर भगवान नारायण की पूजा की जाती है। इसी दिन से गन्ने का प्रसाद शुभ माना जाता है, यानी गन्ने का रसपान करना चाहिए। कहीं-कहीं आज ही तुलसी विवाह किया जाएगा तो कहीं कल किया जाएगा। आज दोपहर बाद भद्रा 3.30 बजे से रात्रि 2.56 बजे तक रहेगी। भद्रा में मांगलिक कार्य नहीं होते। इसलिए तुलसी विवाह दो नवंबर को होगा।
