डॉ. शाहीन के सीडीआर से खुला महिला विंग का नेटवर्क, 19 महिलाओं ने विदेश जाकर ली टेरर ट्रेनिंग
टेलीकॉम एजेंसियों ने 17 दिनों में ही उपलब्ध कराया उपयोग वाले तीनों नंबरों का सीडीआर
कानपुर, अमृत विचार। एनआईए और एटीएस डॉ. शाहीन की परते खंगालने में जुटी है। टेलीकॉम एजेंसियों ने भी तेजी दिखाई और शाहीन के तीनों मोबाइल नंबरों की सीडीआर (कॉल डिटेल रिकार्ड) 17 दिन बाद ही उपलब्ध करा दी है। जिसके अनुसार प्रदेश में शाहीन के संपर्क में 900 से ज्यादा महिलाएं थीं, जिसमें 205 महिलाएं अकेले कानपुर की रहने वाली बताई गई हैं।
कानपुर की 19 महिलाओं ने विदेश में जाकर टेरर की ट्रेनिंग ली थी। इन महिलाओं व लड़कियों को कई स्टेप में ट्रेनिंग दी जाती थी। पहले ऑनलाइन जिहाद का पाठ, ऑनलाइन वेपन ट्रेनिंग और आखिर में विदेश में ट्रेनिंग दी जाती थी। दिल्ली धमाके की आरोपी डॉ. शाहीन की कुंडली खंगालने में जुटी एनआईए और एटीएस को अब उन लोगों की तलाश है जो उसके माध्यम से जैश से जुड़े। वहीं शाहीन के परिवार से जुड़े लोगों की भी तलाश है।
सुरक्षा एजेंसियों को शाहीन के तीनों मोबाइल नंबर हाथ लगे थे। जो जीएसवीएम व कन्नौज में चिकित्सा सेवा के दौरान उपयोग करती थी। देश से जुड़ा मामला होने के कारण टेलीकॉम एजेंसियों ने भी 17 दिन बाद ही तीनों नंबर की सीडीआर दे दी है। जिसके अनुसार अकेले कानपुर में ही 205 महिलाएं शाहीन से जुड़ीं थी। जिसमें 19 विदेश जाकर आतंक की ट्रेनिंग ले चुकी हैं।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार महिलाओं को तीन चरण में ट्रेनिंग दी जाती थी। पहले दो चरण ऑनलाइन होते थे। जिसमें जिहाद का पाठ, हथियार की जानकारी शामिल होती थी। आखिरी ट्रेनिंग विदेश में होती थी। जो महिलाएं विदेश गई उनके हथियार ऑपरेटिंग ट्रेनिंग की जानकारी भी मिली है।
एजेंसी के सूत्रो के अनुसार जो लड़कियां बहराइच व बाराबंकी से शाहीन के चंगुल से भागकर कानपुर पहुंचीं। उनसे मिली जानकारी के आधार पर यह सफलता मिली है। एजेंसी के अनुसार दूसरे देश में जाकर ट्रेनिंग लेने वाली युवतियों के पासपोर्ट भी मिल गए हैं, जिससे उनकी पूरी जानकारी टीम ने एकत्र कर ली है। सुरक्षा एजेंसियों ने उन युवतियों की तलाश शुरू कर दी है, जिनके नाम सामने आए हैं।
कानपुर-लखनऊ से लापता स्लीपर सेल की तलाश
आईबी, इंटेलीजेंस, एटीएस और एनआईए ने कानपुर और लखनऊ के अलावा आसपास के जिलों से लापता स्लीपर सेल की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। इनमें युवतियां भी शामिल हैं। एजेंसी के सूत्रों के अनुसार शाहीन के नेटवर्क में 17 से 24 साल की युवतियां रहती थीं। वहीं सफेद पोश यानी कार्यालय में प्रबंधन व अधिकारी को ऑपरेशनल विंग में 25 से 32 साल तक के लोगों को शामिल किया जाता। अब सुरक्षा एजेंसियां यूपी के तमाम जिलों से लापता हुए पुरुष और महिला सेल को तलाश कर रही है।
मूवमेंट के कारण कई जिलों से जुड़े शाहीन के तार
दिल्ली विस्फोट के बाद डॉ. शाहीन का तार पहले कानपुर से जुड़ा। उसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने जब परते उखाड़ीं तो यूपी के कई जिलों से उसके तार जुड़ने लगे। कानपुर के बाद लखनऊ से कनेक्शन मिला था। फिर यूपी के कई जिलों से जुड़ाव सामने आया। जिसमें आजमगढ़, बहराइच और कन्नौज व छोटे जिले व उनकी तहसील में भी गतिविधि तलाशी जा रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल जिले का नाम भी एजेंसी के सामने आया है। शाहीन की मुलाकात कई टेरर गतिविधि वालों से नेपाल में भी हुई।
पासपोर्ट ऑफिस में तैनात अफसरों की ली जानकारी
सुरक्षा एजेंसियों के पड़ताल दायरे में पासपोट ऑफिर के कई पूर्व कर्मी भी हैं। जैसे मूलरूप से सोहरामऊ रहने वाले आतिफ 2006 से 2014 तक लखनऊ के पासपोर्ट ऑफिस में रहे। वहीं बिछिया का रहने वाला समीर कानपुर में इसी दौरान तैनात रहा। सुरक्षा एजेंसियों ने इनसे पूछताछ कर संदिग्ध पासपोर्ट की जानकारी ली है। जानकारी एकत्र करने में एक मामला ऐसा सामने आया जिसमें कई पासपोर्ट एक या दो दिन के अंतर पर बनवाए गए।
तीन पासपोर्ट विदेश जाने के आखिरी समय में बने। इन पासपोर्ट में समीर व आतिफ की गारंटी लगी थी। सुरक्षा एजेंसियां दोनों से पासपोर्ट संबंधी जानकारी ले रही हैं। दोनों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। आईबी और स्पेशल सेल दिल्ली भी इनसे पूछताछ कर रही है। सूत्रों के अनुसार जरूरत पर इन दोनों का लाई डिटेक्शन टेस्ट भी कराया जा सकता है।
