फेंसेडिल कफ सिरप मामला : जेल वार्डन निलंबित, बर्खास्त सिपाही और तस्कर से थे करीबी रिश्ते
राज्य ब्यूरो, लखनऊ, अमृत विचार : फेंसेडिल कफ सिरप मामले में डीजी जेल पीसी मीणा ने वार्डन महेंद्र प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया है। उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के आदेश दिए हैं। महेंद्र के बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह और तस्कर अमित सिंह टाटा से करीबी रिश्ते थे। दोनों के साथ सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें भी वायरल हुई। वहीं जांच में सामने आया कि जेल वार्डन के खाते में आलोक व अमित ने कई बार कफ सिरप तस्करी के रुपये भी मंगाए थे।
पुलिस के मुताबिक, महेंद्र प्रताप सिंह जेल में बंद आलोक सिंह के सीधे संपर्क में था। साथ ही गिरोह के सरगना शुभम जायसवाल और अमित सिंह टाटा के साथ उसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं। कफ सिरप तस्करी के मामले की जांच के दौरान महेंद्र प्रताप सिंह का नाम एसटीएफ की जांच में सामने आया। उसके खाते में आलोक सिंह व अमित सिंह टाटा ने कई बार कफ सिरप तस्करी के कई बार रुपये मंगाए थे। साथ ही उसकी फोटो मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल के साथ वायरल हुई। जांच एजेंसियों ने जब कड़ियां जोड़नी शुरू की तो महेंद्र शुभम जायसवाल, अमित सिंह टाटा और आलोक प्रताप सिंह का काफी करीबी निकला। आलोक और अमित लखनऊ जिला जेल में बंद है। वहीं पर महेंद्र प्रताप सिंह भी तैनात है। जेल में इन दोनों को सुविधा भी मुहैया कराने में महेंद्र ने पूरे प्रयास किये।
निलंबन के साथ विभागीय जांच के आदेश
डीजी जेल पीसी मीणा के आदेश पर लखनऊ जिला कारागार में तैनात महेंद्र प्रताप सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। जेल प्रशासन ने उसकी भूमिका और संभावित साठगांठ की जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि महेंद्र जेल में बंद आलोक सिंह व अमित से नियमित संपर्क में था और उससे पैसों का लेनदेन भी हुआ है। जांच एजेंसियां अब यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि कहीं महेंद्र ने जेल में बंद आलोक सिंह को किसी तरह की सुविधा तो नहीं दी। एसटीएफ का बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह फिलहाल लखनऊ जिला कारागार में बंद है। उसके खिलाफ कफ सिरप तस्करी से लेकर फर्जी फर्मों के जरिए करोड़ों के अवैध कारोबार में शामिल रहने तक के आरोप हैं। महेंद्र के निलंबन के बाद अब जेल में आलोक पर निगरानी और बढ़ा दी गई है।
