मुरादाबाद: साइबर क्राइम का ‘चक्रव्यूह’ तोड़ने को थाने में तैनात होगी फोर्स
मुरादाबाद,अमृत विचार। प्रदेश में लगातार बढ़ रहे साइबर क्राइम के मामलों के बीच फोर्स की कमी से जूझ रहे साइबर थानों को जल्द राहत मिलेगी। प्रदेश भर में खुले साइबर थानों में फोर्स तैनात की जाएगी। पुलिस हेड क्वार्टर (पीएचक्यू) ने इसके लिए जिलेवार पुलिसकर्मियों से आवेदन मांगे हैं। जिन पुलिसकर्मियों को विभाग में तैनात …
मुरादाबाद,अमृत विचार। प्रदेश में लगातार बढ़ रहे साइबर क्राइम के मामलों के बीच फोर्स की कमी से जूझ रहे साइबर थानों को जल्द राहत मिलेगी। प्रदेश भर में खुले साइबर थानों में फोर्स तैनात की जाएगी। पुलिस हेड क्वार्टर (पीएचक्यू) ने इसके लिए जिलेवार पुलिसकर्मियों से आवेदन मांगे हैं। जिन पुलिसकर्मियों को विभाग में तैनात हुए पांच साल हो चुके हैं, वह संबंधित वेबसाइट पर 31 अगस्त तक आवेदन कर सकते हैं। शासन की पहल के बाद उम्मीद है कि सितंबर के अंत तक साइबर थानों में फोर्स की कमी को दूर कर दिया जाएगा।
वक्त के साथ अपराधियों का क्राइम करने का तरीका भी हाईटेक हो गया है। सीधे तौर पर चोरी-लूट करने के बजाय की बजाए शातिर अपराधी अब साइबर क्राइम को अपना हथियार बना रहे हैं। साइबर क्राइम के जरिए आसानी से लोगों के खातों से रकम निकाल लेते हैं। हैरानी की बात यह है कि ऐसे शातिर अपराधी आसानी से पुलिस के हत्थे भी नहीं लगते हैं। कभी दोस्त तो कभी बैंककर्मी बनकर एक झटके में लोगों की मेहनत की कमाई निकाल उन्हें कंगाल बना लेते हैं।
पहले चरण में मंडल मुख्यालयों पर खुले साइबर थाने
साइबर क्राइम की वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए हर जिले में साइबर सेल खोले गए थे, लेकिन इसके बाद भी मामलों में लगातार इजाफा होता रहा। लिहाजा शासन ने हर जिले में साइबर थाने खोलने की पहल की थी। हालांकि बाद में पहले चरण में मंडल मुख्यालय में थाने खोलने की अनुमति मिली। इसके बाद आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, चित्रकूट धाम (बांदा), बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर, बस्ती, देवीपाटन (गोंडा), कानपुर, झांसी, अयोध्या, सहारनपुर, आजमगढ़, मिर्जापुर और वाराणसी में साइबर थाने खोल दिए गए।
इसी के तहत मुरादाबाद में भी साइबर थाना खोलने के लिए करीब दो साल पहले कवायद हुई थी। आनन-फानन में कई स्थानों पर जमीन देखी गई। अंत में मझोला थाने में जमीन का आवंटन हो गया। हालांकि बजट की समस्या के मद्देनजर अफसरों ने फौरी तौर पर सिविल लाइंस क्षेत्र में पड़ने वाली चौकी कैंप में साइबर थाने की स्थापना कर दी।
बढ़ते मामलों के मद्देनजर फोर्स की कमी होगी दूर
मंडल मुख्यालय पर सितंबर-2020 में थाना खुलने के बाद पुलिस भी एक्टिव हो गई। इसके बाद पूरे मंडल में एक लाख से अधिक की ठगी के मामले यहां पर ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। इसके बाद से औसतन हर माह तीन मामले थाने में दर्ज हो रहे हैं। जबकि दस से अधिक प्रार्थना पत्र जांच के लिए आ रहे हैं।
यह रिकार्ड तो केवल साइबर थाने का है, थानों में दर्ज होने वाले एक लाख से कम की ठगी के मामले जोड़ दिए जाए तो यह संख्या काफी बढ़ जाएगी। बढ़ते मामलों के बीच बात करें स्टाफ की तो अन्य थानों की तरह साइबर थाने में भी स्टाफ की कमी है। मौजूदा समय में थानाध्यक्ष समेत दो इंस्पेटर, दो सब इंस्पेक्टर, एक हेड व छह कांस्टेबिल (महिला समेत) और एक कंप्यूटर आपरेटर तैनात है। तय मानक से अभी दो हेड व दो कांस्टेबिल व एक कंप्यूटर आपरेटर के पद खाली चल रहे हैं।
कमोबेश यही स्थिति सभी थानों की है, लिहाजा शासन ने साइबर क्राइम का चक्रव्यूह तोड़ने के लिए थानों में फोर्स तैनात करने का निर्णय लिया है। इसके लिए साइबर क्राइम के अपर पुलिस महानिदेशक ने सभी जिलों को पत्र भेजकर इच्छुक पुलिसकर्मियों से आवेदन मांगे हैं। आदेश के तहत जो पुलिसकर्मी पिछले पांच साल से विभाग में तैनात है, वह आवेदन कर सकता है। यह आवेदन डाक द्वारा या फिर वेबसाइट [email protected] पर भी आवेदन कर सकते है।
