मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर राज्यसभा में हंगामा, गोयल ने की माफी की मांग 

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Published By Vishal Singh
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नई दिल्ली। राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पर ‘‘अभद्र भाषण’’ देने और ‘‘बेबुनियाद बातें’’ करने का आरोप लगाया और उनसे माफी मांगने को कहा। गोयल ने राज्यसभा में शून्यकाल आरंभ होने से ठीक पहले खड़गे पर यह आरोप लगाए। इस पर, खरगे ने कहा कि सदन के नेता उनके जिस भाषण का उल्लेख कर रहे हैं, वह सदन के बाहर दिया गया है, इसलिए इस बारे में सदन में चर्चा नहीं हो सकती। 

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उन्होंने पलटवार करते हुए आरोप लगाया, ‘‘जिन लोगों ने आजादी के आंदोलन के दौरान अंग्रेजों से माफी मांगी, वह आजादी के आंदोलन में योगदान देने वालों से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं।’’ सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद सत्ताधारी दल के सदस्य खरगे के बयान को लेकर विरोध जताते हुए अपने स्थान पर खड़े होकर नारेबाजी व हंगामा करने लगे। 

गोयल ने खड़गे के बयान का मुद्दा उठाते हुए कहा, ‘‘जिस प्रकार से खड़गे जी ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया, जिस प्रकार से उन्होंने पूरी तरह से बेबुनियाद बातें रखीं, असत्य को देश के सामने रखने की कोशिश की.... मैं उसकी घोर निंदा करता हूं। उनसे माफी की मांग करता हूं।’’ उन्होंने कहा कि खरगे को सदन व देश की जनता के साथ ही भाजपा से भी माफी मांगनी चाहिए। गोयल ने कहा कि खड़गे ने इस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल कर अपनी सोच व ईर्ष्या का प्रदर्शन किया है। 

उल्लेखनीय है कि राजस्थान के मालाखेड़ा (अलवर) में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान खरगे ने एक सभा को संबोधित करते हुए अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हाल में हुई झड़प को लेकर केंद्र सरकार पर संसद में चर्चा से भागने का आरोप लगाया था। 

उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार चीन की ओर से किए जा रहे ‘अतिक्रमण’ और सीमा मुद्दे पर संसद में चर्चा करने को तैयार नहीं है। ‍इसी क्रम में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “केन्द्र सरकार बाहर तो शेर के जैसे बात करती है, लेकिन उनका जो चलना है, वो आप देखेंगे तो चूहे के जैसा है।” उन्होंने आगे कहा कि देश की खातिर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने कुर्बानी दे दी। फिर उन्होंने पूछा “हमारी पार्टी के नेताओं ने जान दी है, तुम (भाजपा) ने क्या किया? आपके घर देश के लिये कोई कुत्ता भी मरा है?.. क्या किसी ने कुर्बानी दी है? नहीं.... । लेकिन फिर भी वे देशभक्त और हम कुछ भी बोलेंगे तो देशद्रोही।” 

खड़गे के इसी बयान को मुद्दा बनाते हुए गोयल ने उच्च सदन में कहा कि इस प्रकार का अभद्र भाषण देना देश के हर मतदाता का अपमान है। उन्होंने कहा कि वह खरगे के व्यवहार और उनकी भाषा की निंदा करते हैं। गोयल ने कहा कि आजादी के बाद महात्मा गांधी ने कांग्रेस पार्टी को ही समाप्त कर देने की बात कही थी। उन्होंने कहा, ‘‘खरगे जी उसका जीता जागता प्रतीक हैं और दिखा रहे हैं देश को कि शायद गांधी जी ने सत्य ही कहा था।’’ 

उन्होंने खड़गे पर हमला करते हुए कहा कि वह एक पार्टी के ऐसे अध्यक्ष हैं ‘‘जिनको भाषण देना नहीं आता’’। गोयल ने कहा, ‘‘उन्हें माफी मांगना चाहिए और जब तक माफी ना मांगें तब तक उनको यहां पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।’’ इसके बाद भाजपा के सदस्यों ने खरगे से माफी की मांग करते हुए नारेबाजी आरंभ कर दी। हंगामे के बीच ही सभापति ने खड़गे को अपना पक्ष रखने को कहा। खड़गे ने कहा, ‘‘मैंने बाहर जो कहा, अगर फिर से वह यहां दोहराऊंगा तो इन लोगों के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी। क्योंकि आजादी के वक्त माफी मांगने वाले लोग आजादी के लिए लड़ने वालों से माफी मांगने की बात कर रहे हैं।’’ 

उन्होंने बताया कि भाजपा के लोग कांग्रेस की ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ को ‘‘भारत तोड़ो यात्रा’’ बोल रहे हैं। खड़गे ने कहा कि इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा देश को जोड़ने की बात करती है और इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे उसके नेताओं ने देश के लिए जान दी। उन्होंने सत्ताधारी दल की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनके यहां कौन हैं, जिसने देश की एकता के लिए जान दी है। इसके बाद गोयल ने खरगे पर पलटवार करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष को शायद इतिहास बहुत ज्यादा याद नहीं है कि कांग्रेस की वजह से जम्मू कश्मीर की क्या हालत हुई? 

उन्होंने कहा, ‘‘...उनको ये याद नहीं है कि उन्हीं के समय चीन ने 38,000 किलोमीटर भारत की जमीन हड़प ली। ये भूल रहे हैं कि कैसे इन्होंने बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किया और ये भूल रहे है कि कैसे सरदार वल्लभ भाई पटेल को जम्मू और कश्मीर में रोका गया... ये श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान भूल गए।’’ इसके बाद, सत्ताधारी और विपक्षी सदस्यों के बीच कुछ देर कहासुनी भी हुई। हालांकि, सभापति ने हस्तक्षेप कर स्थिति को संभाला और सदन की कार्यवाही सामान्य ढंग से चलने लगी। 

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