लखनऊ: बीएसए कार्यालय में लेखाधिकारी की मनमानी से परेशान शिक्षकों ने देर रात घेरा कार्यालय, डर के चलते दफ्तर नहीं पहुंचे लेखाधिकारी
अमृत विचार लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग लखनऊ के लेखा अधिकारी पर आये दिन मनमानी और घूसखोरी के आरोप लग रहे हैं, आरोप है कि लेखाधिकारी सचिन दिक्षित विभाग में बिना लेन देन के कोई कार्य नहीं करते हैं। शिक्षकों के दर्जनों काम जानबूझकर पेंडिंग किए जाते हैं इससे शिक्षक विभाग के चक्कर लगाने को मजबूर हो रहे हैं। बुधवार को भी शिक्षकों ने सुबह से लेकर देर शाम तक लेखाधिकारी कार्यालय का घेराव किया, इस बात से डरे लेखाधिकारी सचिन दिक्षित मौके पर नहीं पहुंचे। ऐसे में शिक्षकों ने जिद्द कर लिया कि वह आज बिना काम कराये नहीं जायेंगे।
दरअसल शिक्षकों का आरोप है कि लेखाधिकारी का चार्ज जबसे सचिन दिक्षित ने संभाला है तब से शिक्षकों से जुड़े कार्यों को जानबूझकर लटकाया जा रहा है। हालात ये है कि बिना किसी शुल्क को कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती है, इसको लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल आईजीआरएस पर शिकायत भी हो चुकी है। जिसे अमृत विचार ने प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद अब लखनऊ के माल, मलिहाबाद बीकेटी क्षेत्र के शिक्षकों ने आरोप ले लगाया गया है कि उनकी सेवापुस्तिका से चयन वेतनमान स्वीकृति सम्बन्धी आदेश फाड़कर फेकने एवं वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं लगाई जा रही है।
शिक्षकों का आरोप है कि लेखाधिकारी कार्यालय में खुलेआम उनसे रिश्ववत मांगी जा रही है। जिसके बाद जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुरेश जायसवाल, प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुधांशु मोहन, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ज्ञान प्रताप सिंह और प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रदीप सिंह ने लापरवाह अधिकारियों और बाबुओं पर मुकदमा दर्ज कराये जाने की मांग की है।
बीएसए ने किसी तरह से शांत कराया मामला
शिक्षकों के आक्रोश को देखते हुए कार्यालय में मौजूद बीएसए ने किसी तरह से देर शांत मामले को शांत कराया है। साथ ही बीएसए ने शिक्षकों को आश्वासन दिया कि शिक्षकों के साथ गलत नहीं होने दिया जायेगा। जो भी मामले पेडिंग हैं उनकों निपटाया जायेगा। तब जाकर शिक्षकों को आक्रोश शांत हुआ और वह अपने घर वापस लौट गये।
शिक्षकों ने बताई ये समस्यायें
शिक्षकों का कहना है कि नियुक्ति जनवरी से जून के मध्य विभिन्न वर्षों में हुई थी। 10 साल की सन्तोषजनक सेवा के बाद शासनादेश संख्या-4307/15-8-3038/99 के 20.12.2001 के क्रम हमें चयन वेतनमान प्राप्त हुआ। लेकिन शासनादेश में विद्यमान विसंगति के कारण हमारी नियमित वार्षिक वेतन वृद्धि माह जुलाई के स्थान पर माह जनवरी कर दिया गया। शिक्षकों ने कहा इससे हम कनिष्ठ शिक्षकों का वेतन वरिष्ठ शिक्षकों से ज्यादा हो गया।
ये विसंगति को दूर करते हुए वित्त नियंत्रक ने अपने आदेश सं०-बेoशिoप० / वेतन / परिपत्र / 8206- 828/2022/23 बीते 21 सितम्बर 2022 को वार्षिक वेतनवृद्धि जनवरी के स्थान पर जुलाई में करने का निर्देश प्रदेश के समस्त वित्त एवं लेखाधिकारी (बेसिक शिक्षा) को दिया गया। इस आदेश के क्रम में वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक, शिक्षा जनपद लखनऊ के द्वारा सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों को विसंगति दूर करने हेतु शिक्षकों की पत्रावली प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।
लेकिन वित्त एवं लेखाधिकारी की ओर से जारी उक्त पत्र के अनुपालनार्थ विकास खण्ड, माल के खण्ड शिक्षा अधिकारी की ओर से कुल 45 शिक्षकों की पत्रावली 5 नवंबर 2022 को वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय को भेजी गई थी। लेकिन वित्त एवं लेखाधिकारी तथा विकास खण्ड माल की पटल सहायक द्वारा वार्षिक वेतन वृद्धि जनवरी के स्थान पर जुलाई नहीं किया गया। शिक्षकों से सुविधा शुल्क की प्रत्यासा में लगभग 2 माह तक फाइलें लम्बित रखने के बाद लगभग 40 शिक्षकों की पत्रावली से जिला बेसिक अधिकारी द्वारा चयनवेतनमान स्वीकृति सम्बन्धी आदेश की प्रति फाड़कर फेक दिया गया है।
