कोर्ट की अवमानना के आरोप में घिरे पीलीभीत डीएम और प्रोबेशन अधिकारी
पीलीभीत, अमृत विचार। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) प्रवीण कुमार लक्षकार, जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रगति गुप्ता व स्टाफ किशोर न्याय बोर्ड का निरीक्षण किए जाने के मामले में न्यायालय की अवमानना के आरोपों में घिर गए हैं। किशोर न्याय बोर्ड की प्रधान मजिस्ट्रेट सुम्बुल इरशाद ने कोर्ट की अवमानना बताते हुए जिला जज सुधीर कुमार के माध्यम से हाईकोर्ट को आरोप संदर्भित कराया है। जिसमें कहा गया है कि निरीक्षण के वक्त प्रधान मजिस्ट्रेट एक मुकदमे में गवाह का बयान अंकित कर रही थीं। जिला मजिस्ट्रेट का स्टाफ मोबाइल से वीडियो बनाता रहा और फाइलें चेक की गईं। किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत इन सबकी मौजूदगी से वहां मौजूद बच्चों को विपरीत वातावरण से असुविधा हुई और न्यायिक कार्य बाधित हुआ।
किशोर न्याय बोर्ड पीलीभीत में प्रधान मजिस्ट्रेट सुम्बुल इरशाद ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को जिला जज पीलीभीत के माध्यम से जिला मजिस्ट्रेट, जिला प्रोबेशन अधिकारी और उनके सहयोगियों के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही करने के लिए प्रकरण भेजा है। जिसके अनुसार 17 फरवरी की दोपहर 12.05 बजे वह किशोर न्याय बोर्ड के एक मामले में गवाह का बयान स्वयं अंकित कर रही थीं। बोर्ड के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। उसी दौरान जिला मजिस्ट्रेट, जिला प्रोबेशन अधिकारी अपने स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों के साथ किशोर न्याय बोर्ड के कक्ष में बिना किसी पूर्व सूचना व अनुमति के घुस आए। इन लोगों के अचानक आने से बोर्ड की प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न हुआ।
किशोर न्याय बोर्ड की प्रधान मजिस्ट्रेट सुम्बुल इरशाद के अनुसार वह अपने न्यायिक कार्य में व्यस्त रहीं। तब जिला मजिस्ट्रेट ने उनसे पूछा कि क्या आप मुझे नहीं जानती हैं। इस पर प्रधान मजिस्ट्रेट ने विनम्रता पूर्वक कहा कि आप मुझे गवाह का बयान अंकित करने दें, मैं न्यायिक कार्य कर रही हूं। इसलिए ड्यूटी के दौरान उठकर खड़ी नहीं हो सकती। इस पर जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि हम तो खड़े ही हैं, हमें तो पता ही नहीं था इतने समय से यहां किशोर न्याय बोर्ड चल रहा है। आप मिलने भी नहीं आईं। जब प्रधान मजिस्ट्रेट गवाह का बयान अंकित कर रही थीं, तब जिला मजिस्ट्रेट का स्टाफ उनका वीडियो बना रहा था। उनके सुरक्षाकर्मी पुलिस की वर्दी में मौजूद थे।
उन्होंने बताया कि इन लोगों ने न्यायिक कार्य में हस्तक्षेप करते हुए प्रोसेस रजिस्टर, पुरानी फाइलें आदि देखी और बोर्ड के सदस्यों से भी कहा कि पुरानी फाइलों का निस्तारण क्यों नहीं हो रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों की इस कार्रवाई से गवाह का बयान अंकित करना असंभव हो गया। उन्होंने इसका उल्लेख पत्रावली पर किया और गवाह का बयान अंकित करना रोकते हुए न्यायिक कार्यवाही रोककर चैंबर में चली गईं।
बताया कि किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत इन सबकी मौजूदगी से वहां मौजूद बच्चों को विपरीत वातावरण से असुविधा हो रही थी। जिला मजिस्ट्रेट, जिला प्रोबेशन अधिकारी और सभी स्टाफ ने न्यायालय के साथ अभद्र व्यवहार व न्यायिक कार्य में हस्तक्षेप किया। ये न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है। हाईकोर्ट से प्रार्थना की गई है कि जिला मजिस्ट्रेट पीलीभीत, जिला प्रोबेशन अधिकारी पीलीभीत और उनके स्टाफ के विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई की जाए
किशोर न्याय बोर्ड का निरीक्षण करना मेरे अधिकार क्षेत्र में आता है। 17 फरवरी को नियमानुसार निरीक्षण किया गया। न्यायिक कार्य में किसी प्रकार की बाधा नहीं डाली गई। लगाए गए आरोप निराधार हैं। अगर कोई नोटिस आता है तो उसका जवाब दिया जाएगा। - प्रवीण कुमार लक्षकार, जिला मजिस्ट्रेट।
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