उमेश पाल हत्याकांड: Murder के लिए डेढ़ महीने में 4 बार की गयी रेकी, एकलौता बाहरी Shooter था उस्मान

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Published By Jagat Mishra
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अमृत विचार, प्रयागराज। उमेश पाल हत्याकांड में लगातार तफ्तीश जारी है। इसमें एसटीएफ के हाथ कुछ और अहम सबूत मिले हैं। पुलिस का मानना है कि घटना की तैयारी करीब डेढ़ महीने से की जा रही थी। अपराधियों ने 3 से 4 बार उमेश पाल के घर और आने-जाने के स्थानों की रेकी भी की थी। शूटर उस्मान, गुलाम, असद ने बरेली जेल में बंद अतीक अहमद के भाई अशरफ से मुलाकात भी की थी। मुठभेड़ में मारा गया विजय उर्फ उस्मान प्रमुख रूप से मो. गुलाम का करीबी था। पूरी वारदात में बाहर से शामिल किया गया एक मात्र शूटर वही था।

ज्ञात हो कि प्रयागराज में बीते 24 फरवरी को हुए उमेश पाल हत्याकांड में परत-दर-परत कई कड़ियां खुलकर सामने आ रही हैं। सोमवार को कौंधियारा में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया विजय उर्फ उस्मान चौधरी 11 फरवरी को असद और गुलाम के साथ अतीक अहमद के भाई अशरफ से मिलने बरेली जेल गया था। वारदात की तैयारी पिछले डेढ़ महीने से चल रही थी। 3 से 4 बार घटनास्थल की रेकी भी की गई थी। 

तीनों ही शूटर्स अपने मोबाइल फोन बंद करके जेल में बंद अशरफ से मिलने गए थे, ताकि उनकी लोकेशन ट्रेस न हो सके। हालांकि पुलिस ने तकनीक के जरिए ही उनके बरेली जेल जाने की पुष्टि की। पुलिस को आशंका है कि बरेली जेल ही इन लोगों की साजिश की मुख्य जगह थी। 

क्रेटा पर लगाई फर्जी नंबर प्लेट  
मुठभेड़ में मारा गया विजय उर्फ उस्मान प्रमुख रूप से मो. गुलाम का करीबी था। पूरी वारदात में बाहर से शामिल किया गया एक मात्र शूटर वही था। गुलाम ही उसे वारदात के लिए साथ लाया था। इसलिए उसे वारदात से पहले अशरफ से मिलाया गया था। पुलिस ने असद, गुलाम, गुड्डू मुस्लिम, अरमान और अरबाज की तो वारदात के बाद पहचान कर ली थी लेकिन विजय उर्फ उस्मान की पहचान नहीं हो पाई थी। फिर पुलिस ने सर्विलांस के जरिए विजय की पहचान की। उसके खिलाफ दो से तीन आपराधिक मामले दर्ज होने की बात सामने आ रही है। पुलिस उसका आपराधिक इतिहास पता कर रही है। उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने से पहले तीन से चार बार उस जगह की रेकी गई। जिस क्रेटा गाड़ी का वारदात में इस्तेमाल किया गया उस पर फर्जी नंबर करीब एक माह पहले ही लगा दिया गया था। सीसीटीवी कैमरों की जांच में यह बात सामने आई है कि यह गाड़ी उमेश पाल के घर के पास तीन से चार बार आई। वारदात में शामिल हर शूटरों की भूमिका पहले से तय थी। पहली गोली कौन मारेगा और दूसरी कौन यह तक तय था।


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