लखनऊ : अल्पसंख्यक आयोग की नोटिस पर दारुल उलूम देवबंद की तरफ से भेजा गया जवाब

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, लखनऊ । दारूल उलूम के एक फरमान का सोशल मीडिया पर बीते दिनों जमकर चर्चा हो रही थी। सहारनपुर स्थित दारूल उलूम देवबन्द का नया फरमान था कि दीनी तालीम के दौरान अंग्रेजी समेत अन्य विषयों की पढ़ाई न की जाये।

जिस पर अल्पसंख्यक आयोग की तरफ से दारूल उलूम को नोटिस भेज कर जवाब देने को कहा था। इसी नोटिस का जवाब देने दारूल उलूम देवबन्द की ओर से मौलाना हुसैन अहमद हरिद्वारी, नाजिम मजलिस तालीमी  (प्रबंधक शैक्षिक समिति) मय पत्र आयोग के सामने उपस्थित हुये और सफाई पेश की। इतना ही नहीं सहारनपुर जिला प्रशासन की तरफ से नायब तहसीलदार भी आख्या सहित सुनवाई के दौरान उपस्थित हुये।

बताया जा रहा है कि सहारनपुर जिला प्रशासन की तरफ से की गई जांच में दारूल उलूम देवबन्द में अंग्रेजी को प्रतिबन्धित करने के लिए कोई भी नोटिस जारी नहीं किया गया है। वहीं दारूल उलूम की तरफ से भेजे गये पत्र में भी अंग्रेजी विषय को सीखने की पाबंदी जैसी किसी भी बात से इंकार किया है।

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी ने सुनवाई के दौरान साफ निर्देश जारी करते हुये कहा है कि सभी को अपने पसंद की शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार हमारा संविधान देता है। इसी के तहत निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था है। ऐसे में मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को अंग्रेजी समेत अन्य विषयों की पढ़ाई करने से रोकना उचित नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा है कि दारूल उलूम, देवबन्द एक विश्वविख्याल इस्लामिक शैक्षणिक संस्था है। ऐसे में संस्था के प्रबंधन से यह अपेक्षा की जाती है कि छात्रों को अंग्रेजी समेत अन्य विषयों की शिक्षा ग्रहण करने से रोका न जाये।

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