बरेली: रामनगर ब्लॉक प्रमुख का जातिप्रमाण पत्र निरस्त, कुर्सी पर आया संकट
बरेली/आंवला, अमृत विचार। मायके की जाति छिपाकर पति की जाति से अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र बनवाकर चुनाव जीतकर रामनगर ब्लॉक प्रमुख बनीं विजेता ठाकुर मुश्किल में घिर गई हैं। उनकी कुर्सी पर भी खतरा मंडरा रहा है। उनके मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की पैरवी भी काम नहीं आई। जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति ने विजेता ठाकुर के अनुसूचित जाति (नट) के प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया गया।
समिति ने ब्लॉक प्रमुख को कई मौके दिए लेकिन वह समिति की एक भी तारीख में पेश नहीं हुईं। इसके बाद समिति ने जांच रिपोर्ट तैयार कर विजेता ठाकुर के अनुसूचित जाति के प्रमाणपत्र को गलत तरीके से बना होना बताते हुए निरस्त की संस्तुति कर दी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर पूर्व डीएम शिवाकान्त द्विवेदी ने 30 सितंबर को विजेता ठाकुर के जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करने की मुहर लगाते हुए आंवला तहसीलदार को चिट्ठी जारी कर दी।
साथ ही तहसीलदार को अभिलेखों में 6 मार्च 2021 को बनाए जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करते हुए विजेता ठाकुर को तामील कराकर दूसरी प्रति पर गवाहों की उपस्थिति में हस्ताक्षर के साथ तामीली आख्या कार्यालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। एसडीएम आंवला गोविंद मौर्य के निर्देश पर तहसीलदार ने विजेता ठाकुर को नोटिस जारी कर दिया है।
ब्लॉक रामनगर की ब्लॉक प्रमुख की सीट अनुसूचित महिला है। भाजपा ब्लॉक प्रमुख प्रत्याशी नेहा आर्य पत्नी ज्ञानवीर आर्य निवासी मनौना ने 19 जुलाई 2021 को तत्कालीन डीएम को शिकायती पत्र देकर बताया था कि भाजपा के कुछ नेताओं ने भितरघात कर चुनाव हरवा दिया और निर्दलीय प्रत्याशी विजेता ठाकुर को चुनाव जितवा दिया।
जबकि विजेता ठाकुर ने अपना जाति प्रमाणपत्र नट जाति का अवैध तरीके से बनवाया है और उनकी मूल जाति नट नहीं है। वह कुचबंधिया जाति की हैं। उन्होंने जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने की मांग की थी। इसके बाद डीएम ने जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति से जांच करायी। सभी पक्षों को सुनने के बाद समिति ने 23 अगस्त 2022 को विजेता ठाकुर का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया था।
इसके बाद विजेता ठाकुर की ओर से दोबारा जांच कराने के लिए कमिश्नर से अपील की गई थी। कमिश्नर ने विजेता ठाकुर की मांग पर डीएम को दोबारा से सुनवाई करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद दोबारा जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति ने जांच शुरू की और विजेता ठाकुर से कई बार नट जाति के संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कहा गया, लेकिन वह समिति की तारीखों में नहीं पहुंचीं।
जबकि तहसीलदार आंवला की ओर से भेजी गयी जांच आख्या में विजेता ठाकुर के पिता और पति दोनों को अनुसूचित जाति का बताया था लेकिन यह भी साफ किया कि विजेता ठाकुर पुत्री विजय कुमार ठाकुर कुचबंधिया जाति की हैं।
वह करेली नरसिंहपुर मध्यप्रदेश की मूल रूप से निवासी हैं, जबकि विजेता ठाकुर के पति मित्रपाल सिंह नट जाति के हैं। सत्यापन समिति की बैठक में नट जाति कबीलाई जाति बताई गई। समिति ने विजेता ठाकुर को जन्म के आधार पर कुचबंधिया जाति का मानते हुए नट जाति के जारी प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया था। जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति में डीएम शिवाकान्त द्विवेदी, एडीएम नगर सौरभ दुबे, एसडीएम सदर रत्निका श्रीवास्तव, जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी वीर पाल और जिला समाज कल्याण अधिकारी मीनाक्षी वर्मा शामिल थीं।
भाजपा से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़कर जीती थीं
विजेता ठाकुर ने भाजपा से टिकट के लिए आवेदन किया था। भाजपा के नेताओं ने विजेता को टिकट का भरोसा दिया था लेकिन एन वक्त पर टिकट नहीं मिला। भाजपा ने मनौना गांव निवासी नेहा आर्य को उम्मीदवार घोषित कर दिया। विजेता बागी हो गईं और निर्दलीय चुनाव लड़ीं। अंदर खाने से ज्यादातर भाजपा कार्यकर्ताओं ने विजेता का साथ दिया। विजेता को 80 वोटों में से 51 वोट हासिल हुए, जबकि बीजेपी की नेहा आर्य को सिर्फ 14 वोट मिले। सपा की शांति देवी को चार वोट मिले थे। जीत के बाद भाजपा गुट खुल कर विजेता के पक्ष में आ गया था।
मुझे अभी तक कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। वह और उनकी पत्नी अनुसूचित जाति के हैं। पत्र मिलने के बाद वह न्याय के लिए अदालत की शरण में जाएंगें।- मित्रपाल सिंह (विजेता ठाकुर के पति)
ब्लॉक प्रमुख विजेता ठाकुर के जाति प्रमाणपत्र निरस्त होने की जानकारी नहीं है। पहले भी एक बार निरस्त हुआ था। तब वह अपील में चली गई थीं। अब दोबारा से निरस्त होने के संबंध में अभी आधिकारिक कोई सूचना नहीं मिली है। पत्र मिलने के बाद देखेंगे। -धर्मेंद्र कुमार, जिला पंचायत राज अधिकारी
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