International Girl Child Day: अब हमारा समय है, हमारे अधिकार ही हमारा भविष्य है

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के समाने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षक के बारे में जागरूकता पैदा करना है। यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लिंग आधारित चुनौतियों को समाप्त करता है। 

इसका सामना दुनियाभर में लड़कियां करती हैं। इससे बाल विवाह, उनके प्रति भेदभाव और हिंसा शामिल है। इस साल 2023 की अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम है 'अब हमारा समय है। हमारे अधिकार ही हमारा भविष्य है।'

इस थीम पर जब शहर की बेटियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस बार की थीम ही नारी शक्ति को बढ़ावा दे रही है। जोकि बहुत अच्छी बात है। साथ ही यह भी बताया कि यह थीम पूरी तरह से आज की बेटियों के लिए ही है। वैसे तो आज के समय में लोगों की सोच बदल गई है। लेकिन फिर भी आज कुछ लोग ऐसे भी हैं कि जो भ्रूण हत्या और हिंसा जैसी घटनाएं बेटियों के साथ कर रहे हैं, जो बेहद निराशाजनक हैं।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास 
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस मनाने की पहल एक गैर सरकारी संगठन प्लान इंटरनेशनल प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। इस संगठन ने 'क्योंकि मैं एक लड़की हूं' थीम पर एक कैंपन भी शुरू किया। इसके बाद इस अभियान को इंटरनेशनल लेवल पर विस्तार करने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया।

फिर कनाडा सरकार ने 55वीं आमसभा में इस प्रस्ताव को रखा, आखिरकार संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया। इसके लिए 11 अक्टूबर कर दिन चुना और 2012 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया।
          
जानिए क्या बोली शहर की बेटियां 
बरेली में रहने वाले वैष्णवी बताती हैं कि हमारे देश की लड़कियां सभी क्षेत्रों में उन्नति कर रही हैं। भारत सरकार उनका प्रोत्सहान कर रही है। मैं चाहती हूं कि हमारे देश की लड़कियां सभी क्षेत्रों में ऐसे ही आगे बढ़े और सरकार उनका साथ भी दे। साक्षी के मुताबिक वह चाहती हैं कि सभी लड़कियां गलत के खिलाफ कदम उठाएं। साथ ही लड़कियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूगक होना जरूरी है।

वहीं संजना कहती हैं कि संसद के राज्यसभा और लोकसभा के साथ ही राज्यों के विधानसभी और विधानमंडल में महिला के लिए 33 फीसद आरक्षण वाला महिला आरक्षण बिल पास हो चुका है, जोकि बेहतर है। महिलाओं के लिए इसी तरह भारत सरकार खेल और खिलाड़ियों पर ध्यान दे तो और भी खुशी होगी। दिव्या बताती हैं कि लड़कियां भी देश का भविष्य हैं। वह लगातार बेहतर कर रही हैं और आगे भी कर सकती हैं। उन्हें भी लड़कों की तरह सहयोग मिलना चाहिए।

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