मुरादाबाद : बढ़ते साइबर क्राइम की चुनौती से निपटने को पुलिस अलर्ट

साइबर क्राइम: घटनाओं को रोकने व जालसाजों पर कार्रवाई करने को प्रत्येक थाने के पांच-पांच पुलिसकर्मियों को किया जा रहा प्रशिक्षित

मुरादाबाद : बढ़ते साइबर क्राइम की चुनौती से निपटने को पुलिस अलर्ट

मुरादाबाद, अमृत विचार। साइबर क्राइम में लगातार वृद्धि हो रही है। 70 प्रतिशत से अधिक वित्तीय साइबर क्राइम के मामले आ रहे हैं। इसे लेकर पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने प्रत्येक जिले में कम से कम एक-एक साइबर थाना बनाने की घोषणा भी की है। इसी क्रम में पुलिस उप महानिरीक्षक (साइबर क्राइम) ने कर्मियों को प्रशिक्षित करने के निर्देश जारी किए हैं। प्रत्येक थाने के कंप्यूटर ऑपरेटर एवं साइबर हेल्प डेस्क प्रभारी जैसे पांच-पांच पुलिसकर्मियों को एक-एक दिन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिले में यह प्रशिक्षण पुलिस लाइन सभागार में हो रहा है। अब तक करीब 95 पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है।

पुलिस लाइन में पुलिस अधीक्षक यातायात के कार्यालय में स्थित साइबर क्राइम सेल में ही देखा जा रहा है कि प्रत्येक दिन औसतन पांच-छह मामले साइबर ठगी के आ रहे हैं। इस तरह चालू वर्ष के अब तक 10 महीने में करीब 1300 से अधिक साइबर ठगी के प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। प्रधानमंत्री आवास तो कोई क्रेडिट कार्ड, लाटरी निकलने या बैंक संबंधी विवरण आदि के नाम पर वित्तीय ठगी का शिकार हो रहा है।

उधर, उच्चाधिकारियों से प्राप्त निर्देशों पर इन दिनों साइबर क्राइम सेल प्रभारी ऋतिक पाठक जिले के प्रत्येक थाने के पांच-पांच पुलिसकर्मियों को साइबर क्राइम के संबंध में प्रशिक्षण दे रहे हैं। ये ऐसे पुलिसकर्मी हैं, जो तैनाती वाले थाने में साइबर हेल्प डेस्क पर काम कर रहे हैं। चूंकि जिले में 20 थाने हैं, इसलिए पांच-पांच कर्मियों के हिसाब में 100 पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन्हें इनवेस्टीगेशन, रेसपाउंडर और फोरेंसिक ट्रैक के बारे में समझाया जा रहा है।

शनिवार को प्रशिक्षण के दौरान सेल प्रभारी ने कर्मियों को इनवेस्टीगेशन ट्रैक के बारे में बताया कि घटनास्थल पर पहुंचकर किन नियमों का अनुपालन करना है। मौके पर पहले फोटो खींचनी है या किसी वस्तु आदि को सीज करना है। डिजिटल साक्ष्य कैसे एकत्र करने से लेकर यदि कोई अपराध से जुड़ा कोई विवरण ऑन है तो उसे कैसे बंद करना है। इसी तरह उन्होंने फोरेंसिक ट्रैक के संबंध में बताया। उन्होंने बताया कि मोबाइल या लैपटॉप में डेटा कैसे रिकवर करेंगे। मोबाइल से यदि कोई क्राइम है तो उसे कैसे ट्रैक करेंगे।

पिछले वर्ष से अब तक 10 हजार से अधिक लोग हुए शिकार
साइबर क्राइम सेल के मुताबिक, पिछले डेढ़-पौने दो वर्ष में करीब 10,000 लोग वित्तीय ठगी के शिकार हो चुके हैं। इन लोगों के खाते से 3.19 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि ऑनलाइन जालसाजों ने ठग ली है। हालांकि, साइबर क्राइम सेल की टीम करीब एक करोड़ रुपये से अधिक धनराशि की रिकवरी कराने में भी सफल रही है।

ऑनलाइन ठगी में लोगों ने गंवाई धनराशि

  • वर्ष               बैंक खाते से कटे रुपये          हुई रिकवरी
  • 2022               1,99,01,192                    46,91,732
  • 2023               1,20,01,949                     62,24,365

साइबर क्राइम की घटनाएं

  • वर्ष              घटनाएं          एफआईआर
  • 2022           8,239           109
  • 2023          1,310             90
  • कुल             9,549           199

साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है और थानों पर स्थापित हेल्प डेस्क के कर्मियों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं ताकि वह ऐसी घटनाओं में कार्रवाई कर सकें। साइबर क्राइम से बचने के लिए जरूरी है कि अपरिचित यदि आप से कॉल पर आपके व बैंक विवरण के बारे में जानकारी ले रहा है तो कतई न दें, न ही ओटीपी आदि बताएं। यदि ठगी का शिकार हो गए हैं तो जितनी जल्दी हो आप पुलिस लाइन में पुलिस अधीक्षक यातायात के साइबर सेल में आकर सूचित करें। इससे खाते से कटने वाले रुपयों को वापस या होल्ड कराने में आसानी रहती है।-सुभाष चंद्र गंगवार, नोडल अधिकारी-साइबर क्राइम सेल

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