बरेली: किराए की पिस्टल से प्रतियोगिता में निशाना लगा रहे खिलाड़ी

Amrit Vichar Network
Published By Ashpreet
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बरेली, अमृत विचार। निशानेबाजों को लाइसेंस न मिलने से किराये पर पिस्टल लेकर प्रतियोगिता में निशाना लगाना पड़ रहा है। इससे खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर भी प्रभाव पड़ रहा है। राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पदक जीतने के बाद भी खिलाड़ी लाइसेंस के लिए कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहे हैं।

जिले में 300 से अधिक निशानेबाज शहर की निजी और सरकारी शूटिंग रेंज में अभ्यास करते हैं। राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के नियम के अनुसार प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों के पास उनके व्यक्तिगत एयर पिस्टल होना अनिवार्य है।

ऐसा नहीं होने पर विकल्प के तौर पर किराए की पिस्टल उपलब्ध कराई जाती है। प्रति प्रतियोगिता एयर पिस्टल का किराया करीब पांच हजार या इससे अधिक होता है। कई बार आर्थिक समस्या होने के चलते प्री नेशनल प्रतियोगिता उत्तीर्ण होने के बाद भी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग नहीं कर पाते हैं। जिससे प्रतिभा होने के बाद भी वे जिले का नाम रोशन करने से चूक जाते हैं।

लाइसेंस न होने के चलते वह हाल ही में कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में प्री नेशनल प्रतियोगिता क्वालीफाई करने के बाद भी नहीं जा पाए। डेढ़ साल से लगातार आवेदन कर रहा हूं। प्रत्येक आवेदन में फाइल आखिरी चरण में पहुंच कर लटक जाती है।- देवव्रत, राष्ट्रीय निशानेबाज

- केंद्र व राज्य सरकार स्तर से खेल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन खिलाड़ियों का उत्थान नहीं हो पा रहा है। प्रशासन के ढुलमुल रवैए से लाइसेंस प्रक्रिया में लटका हुआ है। प्रशासन को खिलाड़ियों का सहयोग करते हुए लाइसेंस बनाने में प्राथमिकता देनी चाहिए।- अभय सिंह गंगवार, राष्ट्रीय निशानेबाज

=यूनिवर्सिटी खेलो में चयन हुआ, तो एयर पिस्टल को किराए पर लेकर प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने पहुंचा। किराए की पिस्टल पर हाथ सेट नहीं होने से स्वर्ण पदक से चूक गया।- पीयूष प्रजापति, राष्ट्रीय निशानेबाज

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