कासगंज: देव शिल्पियों ने रातों रात निर्मित कर दिया था सीताराम मंदिर, अब अपने सौंदर्यीकरण की देख रहा राह 

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Published By Vikas Babu
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सोरोंजी, अमृत विचार: भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश भर के राम मंदिरों में भव्यता की तैयारियां हैं तो इसी बीच पर्यटन विभाग का सूचीवद्ध सीताराम मंदिर अपने सौंदर्यीकरण की राह देख रहा है। यहां विभाग की ओर से प्राण प्रतिष्ठा के दिवस पर कार्यक्रम की कोई तैयारी नहीं की गई है। यहां तक कि इस प्राचीन मंदिर में कई वर्षों से कोई जीर्णोद्धार का कार्य नहीं हुआ है। 

देव शिल्पियों की कृति के रूप में विख्यात सोरों सूकर क्षेत्र का सीताराम मंदिर यहां की पौराणिकता का अहम प्रमाण है। मंदिर की पौराणिकता के चलते इस मंदिर के संरक्षण का दायित्व भी पुरातत्व विभाग के अधीन है, लेकिन मौजूदा समय में देव शिल्पियों की यह पौराणिक कृति की नई पीढ़ी को कम ही जानकारी है। तीर्थनगरी सोरों के लहरा मार्ग पर सीताराम जी का प्राचीन मंदिर करीब एक हजार ईस्वी के आसपास बना। 

इस मंदिर के निर्माण को लेकर जनश्रुति है कि पौराणिक काल में देव शिल्पियों ने रातों रात इस विशाल मंदिर का निर्माण कर दिया था। यहां एक यज्ञ शाला भी है। मंदिर के पुरातात्विक महत्व को जानने के लिए मंदिर की खुदाई हुई तो यहां काफी पौराणिक काल की देव मूर्तियां प्राप्त हुईं। मंदिर की प्राचीनता को देखते हुए इसके संरक्षण का जिम्मा पुरातत्व विभाग को सौंपा गया। 

इस मंदिर का इतिहास सोलंकी राजवंश से भी जुड़ा है। बताया जाता है कि राजा सोलंकी यहां यज्ञ शाला में यज्ञ करते थे। एटा गजेटियर में इस मंदिर का निर्माण एक हजार ईस्वी के बाद ही माना जाता है। सीताराम मंदिर के शिलालेख के अनुसार इसका जीर्णोद्धार संवत 1245 में हुआ।

वर्तमान समय में इस मंदिर की पौराणिक मूर्तियां मंदिर के इतिहास को जानने की जिज्ञासा पैदा करतीं हैं। जो श्रद्धालु मंदिर दर्शन को पहुंचते हैं। वे मंदिर की प्राचीनता पर आश्चर्य जताते हैं। इतनी पौराणिक महत्व के मंदिर और प्राचीन महत्व की इमारतें और मंदिर होने के बावजूद तीर्थ नगरी पर्यटन के मानचित्र में नजर नहीं आती। जो तीर्थनगरी के वाशिंदों को अरसे से कचोटती है।

क्या बोले पुरोहित 
सीताराम मंदिर प्राचीन मंदिर है और यहां श्रालेख में मंदिर की महत्वता और प्राचीता का उल्लेख किया गया है। गजेटियर में भी उल्लेख है, लेकिन बेहतर देख-रेख नहीं हो पाई है--- डा. राधाकृष्ण दीक्षित, साहित्यकार।

तीर्थनगरी सोरों में सीराम मंदिर है। इस मंदिर पर श्रीराम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम होने चाहिए है और यहां भव्यता, दिव्यता होनी चाहिए। मंदिर को सजाना चाहिए--- पंडित राहुल वशिष्ठ, पुरोहित।

पर्यटन विभाग की ओर से इस मंदिर के सौंदर्यीकरण की तैयारी की गई थी। रास्ता बनवाने,पानी बेहतर व्यवस्था करने, एक हॉल बनवाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन लोगों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। इसलिए कोई कार्य नहीं हुआ--- हेमंत शर्मा, सूचना अधिकारी पर्यटन विभाग।

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