लखनऊ: कल पेश हो रहे बजट पर अमृत विचार से बोले व्यापारी, कहा- बजट में हमें भी जगह दो सरकार!

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Published By Sachin Sharma
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अमृत विचार को व्यापारियों ने बताई अपनी व्यथा, अर्थशास्त्रियों ने दी सलाह

बोले व्यापारी- नई पीढ़ी नहीं करना चाहती व्यापार, उद्यमियों की तरह व्यापारियों के लिए हो सिंगल विंडो सिस्टम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार सोमवार को अपना सालाना बजट पेश करने जा रही है। ऐसे में सभी को आने वाले बजट से बड़ी अपेक्षाएं हैं। व्यापारी वर्ग भी इससे अछूता नहीं है। विकास के ढांचे को आर्थिक मजबूती और गति प्रदान करने में व्यापारी वर्ग की महती भूमिका रहती है। कारोबारी वर्ग मानता है कि वह प्रदेश सरकार का ''मुफ्त'' का बड़ा ''टैक्स कलेक्टर'' है। बावजूद इसके सरकार व्यवसायियों की मांगों पर अन्य मसलों की तरह गंभीर नहीं है।

प्रदेश के बाजारों की सुरक्षा में लगे कैमरों को सरकार की दृष्टि योजना से जोड़ने की बात हो या फिर बाजारों में पार्किंग की समस्या, प्रदेश में सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने का मुद्दा या फिर 24 मीटर चौड़ी सड़क पर दुकान खोलने के प्रस्ताव पर विलंब, ज्वलेरी पार्क, ई-कामर्स पॉलिसी लाने और वाहनों की तरह ही नौकरी पेशा को किस्तों पर सोना खरीदने की अनुमति, व्यापारियों के लिए दुघर्टना बीमा, डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने, चिकित्सा और शिक्षा को निजीकरण से दूर रखने समेत कई मुद्दों पर समाज के लोग मुखर हुए तो सरकार को राह भी सुझायी।

व्यापारी संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी रविवार अपराह्न ''अमृत विचार'' कार्यालय में बुलाई गई बजट चर्चा में मौजूद थे। इसमें अलग-अलग ट्रेड के कारोबारी थे तो शिक्षा और अर्थशास्त्र के जानकार भी। बजट कैसा हो इस पर सभी ने अपनी राय बेबाकी से रखी।

जानिये बजट से क्या हैं उम्मीदें?
  • व्यापारियों के लिए भी सिंगलविडों सिस्टम लागू हो।
  • दुर्घटना बीमा योजना के तहत व्यापारियों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के लिए मद बनाया जाए।
  • आयुष्मान योजना के तहत इलाज की सुविधा हो।
  • पार्किंग को उद्योग का दर्जा देते हुए प्रमुख बाजारों की इमारतों को अधिग्रहित कर पार्किंग बनायी जाएं।
  • इसके लिए बाजारों में पुराने मकानों और भवनों को सरकारी योजना में शामिल करते हुए उन्हें कब्जे में लेकर पार्किंग बनाएं।
  • खुदरा व्यापार बचाने को ई कॉमर्स कंपनियों पर सूबे में अतिरिक्त टैक्स लगाया जाए।
  • व्यापारी लगभग 30 वर्ष तक जीएसटी देते हैं लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिलता। 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके व्यापारियों को ब्याज के तौर पर पेंशन दी जाए।
  • 29 जून को प्रदेश भर में व्यापारी कल्याण दिवस मनाया जाए। इसके लिए सरकार फंड की व्यवस्था करे।
  • 28 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब को लेकर केंद्र सरकार से अनुरोध कर इसे खत्म कराए।
  • पटरी दुकानदारों को दूसरी जगह स्थापित किया जाए।
  • इंस्पेक्टर राज के स्थान पर आ गए अधिकारी राज पर सरकार नकेल कसे।
  • सरकारी कर्मचारियों को किश्त पर ज्वेलरी बेचने की अनुमति मिले।
  • दृष्टि योजना से बाजारों में लगे सीसीटीवी को जोड़ा जाए।
  • व्यापारियों को सुरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस जारी किये जाएं।
  • कारीगरों और सर्राफा उद्योग को संवारने के लिए ज्वेलरी पार्क बनाया जाए।
  • केवल बड़े उद्योगपतियों को नहीं छोटे व्यापारियों को भी बैंक से आसानी से लोन मिल सके।
  • रोजगार बढे़ इसके लिए 24 मीटर चौड़ी सड़क पर दुकान खोलने के प्रस्ताव पर अविलंब मुहर लगा उसे लागू किया जाए।
  • व्यापारी के यहां लूट या दुर्घटना होने पर मुआवजे का प्रावधान किया जाए।
  • उद्योगपतियों को सरकार की तरफ से जो लाभ दिये जा रहे है, व्यापारियों को भी उसके सापेक्ष लाभ मिलें।
  • प्रदेश के व्यापारियों के लिए भी उद्योगपतियों की तरह योजनाओं में स्थान दिया जाना चाहिए।
  • जैसे उद्योपतियों से सीएम मिलकर उनकी समस्याओं को सीधे सुनते हैं।
  • ठीक उसी तरह व्यापारी संगठनों और बडे़ ट्रेड के व्यापारियों के साथ अलग-अलग वार्ता करें।
बोले कारोबारी-

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जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों को दुर्घटना बीमा योजना के तहत 10 लाख रुपये का लाभ देने के लिए सरकार को मद बनाना चाहिए। इसके अलावा व्यापारियों को आयुष्मान योजना के तहत इलाज की सुविधा दी जाए। बाजारों में पार्किंग की गंभीर समस्या है। पार्किंग को उद्योग का दर्जा देते हुए अमीनाबाद, चौक, भूतनाथ आदि बाजारों में पुरानी बिल्डिंग अधिग्रहित कर पार्किंग बनाएं। ई-कॉमर्स कारोबार से खुदरा व्यापारी परेशान है। इसके लिए सरकार को नियम बनाने के साथ ई-कॉमर्स कंपनियों पर अतिरिक्त टैक्स लगाना चाहिए। कारोबार बढ़ाने के लिए व्यापारियों को बैंकों से मुद्रा लोन आसानी से मिले।

                                                                                 संजय गुप्ता, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल

60 साल पूर्ण करते ही व्यापारियों को मिले पेंशन

 

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लगभग 30 वर्षों तक व्यापारी सरकार को जीएसटी के रूप में राजस्व देता है लेकिन उसे कुछ नहीं मिलता है। बजट के माध्यम से सरकार से 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर व्यापारियों को प्रतिमाह पेंशन की मांग करता हूं। व्यापारियों का जो पैसा जीएसटी के तौर पर सरकार के पास जमा है। सरकार से व्यापारी को उसके ब्याज का ही पैसा दे दिया जाए।

इंस्पेक्टर राज गया लेकिन अब अधिकारी राज आ गया है। इसकी निगरानी की सख्त व्यवस्था हो। व्यापारी की सुरक्षा पर तबका कुछ मांग नहीं रहा है। कम से कम प्रदेश सरकार तो ई-कामर्स कंपनियों पर बड़ा टैक्स निर्धारित करे। जिससे खुदरा व्यापार बचे। प्रदेश में वाराणसी और अयोध्या के विकास का माडल अच्छा है।

                                                 भारत भूषण गुप्ता, अध्यक्ष, लखनऊ दाल एण्ड राइस मिलर्स एसोसिएशन

आनलाइन ट्रेडिंग कंपनियों से हो रहा नुकसान

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ऑनलाइन ट्रेडिंग कंपनियों की मनमानी से खुदरा व्यापारी परेशान है। उत्तर प्रदेश सरकार इन कंपनियों पर अतिरिक्त टैक्स लगाए। व्यापारियों को 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा दिया जाए। प्रदेश भर में व्यापारी कल्याण दिवस मनाया जाना है। इसके लिए सरकार को फंड देना चाहिए। एक तिथि तय हो जिससे कारोबारियों को अहसास हो सके कि सरकार उनके बारे में भी सोचती है। डीजल और पेट्रोल पर वैट की दर कम की जाए, जिससे आम जनता को फायदा हो। जीएसटी के बडे़ स्लैब खत्म कराने की ओर सरकार ध्यान दे जिससे लोगों को महंगाई से राहत मिल सके।

                                             सुरेश छबलानी, प्रदेश प्रवक्ता एवं महामंत्री अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल

सिंगल विंटो सिस्टम की हो व्यवस्था 

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प्रदेश में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम व्यवस्था की जाए। उद्योगों की तरह ही छोटे व्यापारियों को सब्सिडी पर लोन मिले। कागजों पर लोन देने के दावे न करते हुए बैकों की कागजी उलझाऊ प्रक्रिया से व्यापारियों को बचाया जाए। व्यापारियों को आसानी से लोन उपलब्ध कराया जाए। व्यापारी के साथ दुर्घटना की स्थिति में बैंक परेशान करते हैं। इसलिए व्यापारियों को दुर्घटना बीमा योजना का लाभ मिले।

                                                                  अनिरुद्ध निगम, ट्रांस गोमती अध्यक्ष, उप्र आदर्श व्यापार मंडल

हम फ्री के टैक्स कलेक्टर, नई पीढ़ी नहीं करना चाहती व्यापार

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हम फ्री के टैक्स क्लेक्टर हैं। फिर भी हमारी उपेक्षा की जाती है। बाजारों में ट्रैफिक कंट्रोल नहीं है। अमीनाबाद, भूतनाथ और चौक समेत प्रदेश के अन्य बाजारों के हालात खराब हैं। जाम से लोग बाजार में आना नहीं चाहते, जिससे व्यापार निरंतर कम हो रहा है। पटरी दुकानदारों को दूसरी जगह स्थापित किया जाए। पटरी दुकानदार अनियंत्रित हैं। नई पीढ़ी व्यापार नहीं करना चाहती। सरकार को व्यापारियों की समस्या से नहीं केवल जीएसटी और हाउस टैक्स से मतलब है। जब दुकानों के आगे दुकाने लगी होंगी और वाहन पार्किंग की व्यवस्था नहीं होगी तो बाजार में कौन आएगा।

                                                                              प्रदीप अग्रवाल, वरिष्ठ महामंत्री लखनऊ सर्राफा एसोसिएशन

इंस्पेक्टर राज से व्यापारियों को हो रहा नुकसान

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केंद्र सरकार ने होटल इंडस्ट्रीज के लिए अच्छा काम किया है। लेकिन इतने कानून लगा दिये जाते हैं कि उन्हें बडे़ इंवेस्टमेंट के बाद फायदा नहीं मिल पा रहा है। इसके लिए सरकार को व्यापारियों की सुविधा के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था अन्य उद्योगों की तरह करनी चाहिए। इससे छोटे होटल कारोबारियों को भी फायदा मिले और अधिक से अधिक लोग इस व्यवसाय से जुड़े। इंस्पेक्टर राज और अफसर राज व्यापारियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। सरकार इन पर नियंत्रण के लिए ठोस पहल करे।

                                                                          श्याम कृष्नानी, ज्वाइंट सेक्रेटरी यूपी होटल एसोसिएशन

सरकारी कर्मचारियों को किश्त पर ज्वेलरी बेचने की मिले अनुमति

सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स देने वाला व्यापारी ही सबसे ज्यादा उपेक्षित है। टूरिज्म उद्योग को सरकार ने थोड़ी राहत जरूर दी है। लखनऊ की ज्वेलरी देश में सबसे बेहतर है। हल्की ज्वेलरी के लिए राजधानी के कारीगर और काम काफी पसंद किया जाता है। आगरा और मथुरा की चांदी सबसे अच्छी मानी जाती है तो सोने की आपूर्ति करने वाला मेरठ एशिया की सबसे मंडी है। यानी प्रदेश का सर्राफा व्यवसाय देश ही नहीं विदेश तक धाक जमाए है।

फिर भी कारोबारियों की समस्याओं पर सरकार का ध्यान नहीं है। न तो सुरक्षा पर ध्यान है और न ही बाजारों में लगे कैमरों को दृष्टि योजना में शामिल करने की बात। शस्त्र लाइसेंस दिए जाने की मांग पर भी अफसर विचार नहीं करते हैं। मांग है कि सरकारी कर्मचारियों को किश्त पर ज्वेलरी बेचने की हमें अनुमति दी जाए जिससे ज्वेलरी मार्केट में बूस्ट आएगा।

पांच साल पहले सरकार से ज्वेलरी पार्क बनाने की मांग की थी। लेकिन नीचे के अधिकारी ऊपर तक समस्या पहुंचने ही नहीं देते। सरकार व्यापारियों के लिए ओडीओपी योजना लेकर आयी लेकिन प्रदेश में एक भी प्रदर्शनी हॉल नहीं है। जब उत्पाद दिखेगा नहीं तो बिकेगा कैसे। सीएम को चाहिए कि छोटे व्यापारियों की भी सुनें। प्रदेश स्तर की बड़ी समिट तक में आमंत्रित्र करने से बचा जाता है।

                                                             अनुराग रस्तोगी, स्टेट हेड इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (इब्जा)

मॉडल बाजार तक नहीं बना पा रहे

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जितने भी उद्योग हैं उनकी वस्तुएं बनाते भी और बेचते भी हम ही हैं। प्लानिंग से कोई भी मार्केट नहीं बनाई गयी है। व्यापारी कहीं भी दुकान खोलते हैं तो आवास विकास और एलडीए के अभियंता आ जाते हैं। जानकारी मिली है कि 24 मीटर चौड़ी सड़क पर दुकान खोलने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास हो गया लेकिन अभी तक लागू नहीं हुआ। प्रदेश के बाजारों में पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। जाम से लोग कराह रहे हैं तो खरीदार बाजार तक कैसे पहुंचेगा। व्यापार तो तब होगा जब दुकानदार को राह आसान मिले। बाजारों में जाम लगता है। व्यापारी के यहां लूट या दुर्घटना होने पर मुआवजे का प्रावधान किया जाए।

                                                                                                                 देवेन्द्र गुप्ता, अध्यक्ष भूतनाथ व्यापार मंडल

छोटे व्यापारियों तक नहीं पहुंच रहीं योजनाएं

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छोटे उद्यमियों तक केंद्र और राज्य की योजनाएं नहीं पहुंच पा रही हैं। बैंकों से आसान तरीके से ऋण मिलने की बात तो की जाती है लेकिन उस पर निगरानी नहीं होती है। नतीजा व्यापारी बैंकों के चक्कर लगाता है। ई-कामर्स कंपनियों पर बड़ा कर लगाया जाना चाहिए। नहीं तो छोटे दुकानदार खत्म होते जाएंगे। जब गली मोहल्लों में व्यापार नहीं रहेगा तो रोजगार कैसे बढे़गा इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उद्योग लगाने के लिए सरकार कागज पर ठोस प्रोत्साहन दे, जिससे लोगों को रोजगार मिले सके।

                                                                                             सतनाम सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष लखनऊ व्यापार मंडल

व्यापारियों के लिए बने आकस्मिक सहायता कोष

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अयोध्या में श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान व्यापारियों ने बाजारों से लेकर घर-घर दीप जलाए। इससे पहले कोविड में भी व्यापारियों ने सहायता की थी। व्यापारी अपना पूरा जीवन लगा देता है। रोजगार देता है लेकिन उसके न रहने पर परिवार दाने-दाने को मोहताज हो जाता है। इसलिए सरकार व्यापारियों के लिए आकस्मिक सहायता कोष बनाए। इस कोष से व्यापारियों के परिवार के हालात बिगड़ने पर उन्हें आर्थिक सहायता दी जा सके।

                                                                                     अविनाश त्रिपाठी, प्रदेश उपाध्यक्ष उप्र आदर्श व्यापार मंडल

जीएसटी को बनाया जाए सुलभ

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जीएसटी को सुलभ बनाया जाना चाहिए। इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा। व्यापारियों का हर कदम पर शोषण किया जाता है। व्यापारियों के कार्य को सरल बनाने के लिए एकल विंडो सिस्टम बनाया जाना चाहिए। प्रदेश में सबसे बड़ी खपत सोने और चांदी की है। यहां की कारीगरी की बाहर धमक है लेकिन न तो ज्वेलरी पार्क की ओर ध्यान दिया जा रहा है और न ही सुरक्षा पर। सर्राफा कारोबार से बड़ी संख्या में छोटे सोनार जुडे़ हैं। ऐसे में इसे बढ़ावा देने से रोजगार बढे़गा।

                                                                                समित रस्तोगी, अध्यक्ष इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन

बोले प्रवक्ता, शोध एवं छात्रवृत्ति के लिए मद में हो अलग व्यवस्था

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उप्र सरकार के बजट से उच्च शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञों को खासी उम्मीदें हैं। प्रवक्ताओं का मानना है कि शोध एवं छात्रवृत्ति के लिए अलग से मद होना चाहिए, क्योंकि तकनीकी शिक्षा का बढ़ावा प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट की मुख्य कड़ी बन चुका है। युवा जुड़ भी रहे हैं।

उच्च शिक्षा के स्तर को अंतर्राष्ट्रीय पावदान तक ले जाना प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का प्रमुख अंग है। कई बार प्राइवेट संस्थानों में अधिक से अधिक फीस लेकर बच्चों को पढ़ाया जाता है। ऐसे में ग्रामीण स्तर के युवा उच्च पाठ्यक्रमों की शिक्षा लेने से वंचित रह जाते हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा कानून बनना चाहिए कि सरकारी और निजी संस्थानों की फीस एक समान हो जाए।

                                                                   डॉ. दिनेश यादव, प्रवक्ता, अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय

उच्च शिक्षा को मिले इण्ड्रस्ट्री हब

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उच्च शिक्षा को इण्ड्रस्ट्री हब दिए जाने की आवश्यकता है। इससे उद्यम और व्यापार दोनों ही क्षेत्रों में तेजी से मजबूती आएंगी। जिससे युवाओं को रोजगार और उद्यम भी मिलेंगे। घटते- बढ़ते जीडीपी स्तर भी विचार और प्रयास किये जाना आवश्यक है। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. काजिम रिजवी का मानना है कि शोध और छात्रवृत्ति उच्च शिक्षा के वो अंग हैं, जिसके सहारे छात्र विभिन्न आयामों तक आसानी से पहुंचते हैं। जब हम अपना मुकाबला अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों से कर रहे हैं, तो उसी तरह की पढ़ाई में सहूलियत भी आवश्यक है।

                                                                डॉ. हरनाम सिंह, प्रवक्ता अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय

शोधार्थियों को राहत के लिए सरकार की दरकार

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शोधकर्ता छात्र अथवा छात्राओं का अध्ययन के दौरान एक बड़ा समय पढ़ाई में बीतता है। उस दौरान वो कहीं नौकरी भी नहीं कर पाता। ऐसी स्थिति में शोधार्थी द्वारा स्वयं अथवा परिवार की आजीविका चलाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता। ऐसे में यदि शासन योजनाओं का सरलता के साथ शोधार्थी को लाभ दे, तो निश्चित रूप से एक बड़ा परिवर्तन समाज में देखने को मिल सकता है और शोधों को गति मिल सकती है। कह सकते हैं कि शोधार्थियों को राहत के लिए सरकार की दरकार है जिससे रिसर्च की ओर युवा इस ओर आएंगे।

                                                                                       डॉ. कासिम रिजवी, प्रवक्ता, भाषा विश्वविद्यालय

रोजगार मिला लेकिन उद्यम और उद्यमियों के बीच सामंजस्य बढ़ाने की जरूरत

अर्थशास्त्री डॉ. हरनाम सिंह का मानना है कि शासन की स्टार्टअप योजना ने युवाओं को रोजगार दिया है। अब उद्यम और उद्यमियों को एक पावदान पर खड़ा करने की आवश्यकता है। वर्ष 1964 में इसी तरह की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कोठारी आयोग का गठन किया गया था। इसके सहारे जो मद शिक्षा के क्षेत्र में अंतिम कड़ी तक पहुंचना चाहिए, उसके लिए केन्द्र और राज्य दोनों सरकारों को अधिक सामंजस्य स्थापित किये जाने की जरूरत है।

पर्यटन की तरह शिक्षा के स्वरूपों का हो प्रसार

अर्थशास्त्री डॉ. दिनेश यादव कहते हैं कि शासन ने पर्यटन के क्षेत्र में काफी कार्य किया है। ऐसे में विश्वविद्यालयों से जुड़ी शिक्षा और पाठ्यक्रमों के प्रसार की आवश्यकता है। डिजिटल व्यवस्था को और अधिक मजबूत और सुदृढ़ बनाए जाने की आवश्यकता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की मेधा को भी बल मिलेगा।

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