रंगभरी एकादशी पर हनुमान गढ़ी पर नागा साधुओं ने जमकर खेली होली, रामलला के विराजमान होने का दिखा खास उल्लास!

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Published By Sachin Sharma
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अयोध्या, अमृत विचार। भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद आज राम नगरी अयोध्या के मंदिरों में रंगभरी एकादशी तिथि पर आज खेली गई होली का अलग ही नजारा रहा, जिसमें 500 वर्षों के संघर्ष के बाद निर्मित हुए राम मंदिर की खुशी समाहित दिख रही थी और इसी के साथ ही अवधपूरी में होली का आगाज हो गया। 

राम नगरी अयोध्या के 6 हजार से अधिक मंदिरों के गर्भगृह में विराजमान भगवान के विग्रह को ब्रह्ममुहूर्त में साज-सज्जा के साथ आरती कर गुलाल लगाया गया, यही नहीं अवध में होली के आगाज पर मंदिरों में आने वाले भक्तों को भी प्रसाद के रूप में गुलाल लगाया गया,तो इसी से रामनगरी की संस्कृति और भी पुष्ट हो गयी।

माघ शुक्ल पंचमी, बसंत पंचमी पर्व से रामनगरी में औपचारिक रूप से मंदिरों में होली का शुभारंभ हो जाता है और प्रतिदिन भगवान को अबीर-गुलाल भी चढ़ाया जाता है, लेकिन फाल्गुन शुक्ल एकादशी को रंगभरी एकादशी पर्व प्रमुख रूप से मनाया जाता है ।

अयोध्या के हनुमानगढ़ी परिसर में रंगभरी एकादशी पर प्रसिद्ध सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी में रंगो के बीच आस्था का ज्वार दिखा और साथ ही धार्मिक नगरी अयोध्या कि सड़कें अबीर और गुलाल से रंगी नजर आयीं तथा परम्परागत रूप से कड़ी सुरक्षा में प्रमुख सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के  निशान को लेकर साधू संतों का जुलूस अयोध्या की सड़कों पर निकला , संतो ने ढोल कि धुन पर जमकर नृत्य किया।

यह प्राचीन परम्परा सदियों से धार्मिक नगरी अयोध्या में चली आ रही है और इसी परम्परा के तहत रंग भरी एकादशी के अवसर पर अयोध्या के प्रमुख सिद्धपीठों में शामिल प्राचीन हनुमानगढ़ी के नागा परम्परा से जुड़े साधू संत हनुमान गढ़ी मंदिर में रखे हनुमंत लला के प्रतीक चिन्ह झंडे और निशान को लेकर मंदिर परिसर में ही जमकर होली खेली., फिर जुलूस की शक्ल में नागा साधुओं की टोली बैंड बाजे के साथ अखाड़ों के पहलवानों के करतब दिखाते हुए, अयोध्या की सड़कों पर निकली , होली की मस्ती में सराबोर संतो ने हर आने-जाने वाले लोगों को अबीर गुलाल से रंगा दिया।

नागा संतों का यह जुलूस अयोध्या के प्रमुख मार्गों से होता हुआ जुलूस के मार्ग में पड़ने वाले हर मंदिर में पहुंचा, जहां पर नागा संतों ने भगवान् के विग्रह के साथ होली खेली, इसी क्रम में संतों ने अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा कर सरयू स्नान भी किया।

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