Kanpur: 25 हजार लोगों के घर आज भी नहीं पहुंचा नल; गंगा के किनारे बसे एक दर्जन मोहल्लों में पानी की दिक्कत
जेएनएनयूआरएम योजना के तहत डाली गई लाइन भी बेकार
कानपुर, अमृत विचार। गंगा के किनारे बसे कुछ मोहल्ले आज भी प्यासे हैं। यहां ज्योरा मलिन बस्ती, अमरूद मंडी, जागेश्वर, पहलवान पुरवा समेत एक दर्जन मोहल्लों में आज तक घर-घर नल नहीं पहुंचा है। इन क्षेत्रों के लोगों को भूमिगत जल के सहारे ही जीवन यापन करना पड़ता है।
पेयजल लाइनें नहीं पड़ने की वजह से गंगा किनारे होने के बाद भी यहां भूमिगत जलस्तर में गिरावट आ रही है। पार्षद महेंद्र पांडेय पप्पू ने बताया कि क्षेत्र की आबादी करीब 50 हजार है। इनमें से 25 हजार जनता पानी की समस्या झेलती है।
हर घर स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए जेएनएनयूआरएम योजना के तहत शहर में करोड़ों रुपये खर्च किए गए। जिसके तहत नई पानी की लाइनें, नए वाटर वर्कस, ओवर हेड टैंक बनाए गए, लेकिन इसके बाद भी शहर की प्यास पूरी तरह से बुझी नहीं है।
इस योजना के तहत गंगा बैराज के बगल में स्थित विष्णुपरी में भी पेयजल लाइन डाली गई। लेकिन, लाइनें सफल नहीं हुईं। मुख्य पेयजल लाइनों से आज तक आस-पास के कई मोहल्लों में पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। एक दर्जन मोहल्लों में तो पेयजल लाइन को पहुंचाया ही नहीं जा सका है।
शहर में दो हिस्सों में डाली गई पेयजल लाइन
घरों तक गंगा का पानी पहुंचाने के लिए जेएनएनयूआरएम में दो हिस्सों में प्रोजेक्ट बनाया गया था। इसके तहत कुल 869 करोड़ रुपये खर्च किए गए। योजना के प्रथम फेस में पुराने क्षेत्रों के 67 वार्डों को शामिल किया गया था। इसमें 270.95 करोड़ रुपये से वाटर वर्कस, फीडर मेन लाइन, ट्रीटमेंट प्लांट, जोनल पम्पिंग स्टेशन समेत कई कार्य होने थे।
अधिकारियों और कार्य कर रही कंपनी की लापरवाही से लेटलतीफी हुई और योजना की लागत बढ़ते-बढ़ते 394 करोड़ रुपये पहुंच गई। इसी तरह फेज 2 में शेष बचे 33 वार्डों में 340 करोड़ से रिजरवॉयर, ओवरहेड टैंक आदि बनाने के कार्यों को शामिल किया गया। इस प्रोजेक्ट में भी जमकर अनियमितता बरती गई। जिससे आज भी शहर में पेयजल समस्या है।
नवाबगंज, विष्णुपुरी में एक दर्जन मोहल्ले ऐसे हैं जहां पेयजल लाइन नहीं पड़ी है। लोग हैंडपंप के सहारे हैं। ज्यादा दिक्कत होती है तो टैंकर मंगवाते हैं। चंद अधिकारियों की वजह से ही समस्या है। - महेंद्र पांडेय, पार्षद, वार्ड 40
