Bareilly News: गर्मी की नहीं परवाह, साढ़े चार घंटा पहले ट्रेन में हो गए सवार

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। ट्रेनों में कंफर्म टिकट मिलना मुश्किल हो रहा है। जनरल कोच में भी सीट पाने के लिए यात्रियों को मारामारी करनी पड़ती है। यही वजह है कि सोमवार को बरेली जंक्शन पर बरेली-वाराणसी एक्सप्रेस में गर्मी की परवाह किए बिना यात्री साढ़े चार घंटे पहले ही बैठ गए।

यात्रियों ने गर्मी से बचने के लिए गत्ते और हाथ के बने पंखों से हवा कर बचाव किया। ट्रेन जंक्शन पर टर्मिनेट हुई थी, इसलिए इंजन बंद होने से पंखे नहीं चल रहे थे।

14235 वाराणसी बरेली एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से 12 मिनट की देरी से बरेली जंक्शन पर 12 बजकर 07 मिनट पर पहुंची। बरेली जंक्शन पर ट्रेन का अंतिम ठहराव था, इसलिए ट्रेन को प्लेटफार्म नंबर चार पर खड़ा कर दिया गया। इसी रेक से 14236 बरेली-वाराणसी एक्सप्रेस को 16:35 बजे चलाया जाना था। ट्रेन को लगभग साढ़े चार घंटा स्टेशन पर ही खड़ा होना था। ट्रेन में बड़ी तादाद में यात्री जनरल कोच के अंदर सवार हो गए। 

इंजन बंद होने के बाद ट्रेन के पंखे नहीं चलने के बावजूद लोग गर्मी में बैठे रहे और बचाव के लिए हाथ के पंखों और गत्तों का इस्तेमाल किया। यात्रियों ने बताया कि मजबूरी में गर्मी में ट्रेन में बैठे हैं, क्योकि अगर सीट छोड़ देंगे तो आगे तक का सफर मुश्किल हो जाएगा।

बरेली से चलने वाली ट्रेनों में जगह मिलना आसान
जंक्शन से लखनऊ, हरदोई, शाहजहांपुर जैसे स्टेशनों पर जाने के लिए जंक्शन से कई प्रमुख ट्रेनें होकर गुजरती हैं, लेकिन इनमें जगह मिलना मुश्किल होता है, जबकि जंक्शन से बनकर चलने वाली ट्रेनों के अंदर जगह मिलना आसान रहता है। यही वजह है कि गर्मी में लोग कई घंटे पहले ही आकर ट्रेन में बैठ जाते हैं।

वाराणसी जाना था लेकिन ट्रेन साढ़े चार घंटे बाद चलेगी। अब चाहें गर्मी लगे या फिर पसीना बहे हमारे लिए सफर करना तो जरूरी है।-अशोक कुमार, यात्री

बोध गया जाना जाने के लिए जंक्शन आए थे। वाराणसी से दूसरी ट्रेन पकड़नी है। ट्रेन में जगह मिल जाए इसलिए पहले से सवार हो गए। -सुखराम सिंह, यात्री

वाराणसी तक सफर करना है। दूसरी ट्रेन से वाराणसी जाना था लेकिन काफी लेट होने के कारण बरेली वाराणसी ट्रेन में ही सवार हो गए हैं।- बृजेश कुमार, यात्री

बोध गया दर्शन करने के लिए जा रहे हैं। ट्रेन में पहले से सवार हुए हैं ताकि सीट मिल सके। रेलवे को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि पंखे चलते रहें।-पप्पू कुमार, यात्री

बोध गया दर्शन के लिए जा रहे हैं। वाराणसी से दूसरी ट्रेन पकड़नी है। इसलिए गर्मी के बावजूद ट्रेन में बैठेंगे, ट्रेन चलेगी तो पंखे चल ही जाएंगे।-भूपसिंह, यात्री

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