Diwali 2024: हरी धनिया में टिमटमाएंगे जुगनू, पटाखा लाइट करेगी धमाका
नाका हिंडोला, आर्यनगर और आसपास के इलाकों में झालरों की तमाम वैरायटी
नीरज मिश्र/लखनऊ, अमृत विचार। रंग-रोगन के बाद तैयार हुए घर को अब दीपावली से पहले रोशन करने का समय आ गया है। ऐसे में आप रोशनी के आइटम बेचने वाले प्रमुख ''प्रकाश बाजारों'' का रुख करिए। रोशनी के इस पर्व पर कहीं कोई कमी न रह जाए। इसके लिए अपनी जेब और बजट को देखिए और घर के लिए झालर और लाइटें पसंद कर उसे रोशन करने में जुट जाएं। तमाम नए आइटम बाजार में हैं। नए आइटम में हरी धनिया के नाम से बिकने वाली झालर कुछ अलग है। इस धनिया में ऐसी लाइटिंग की व्यवस्था नजर आती है जैसे लटकती धनिया में जुगनू टिमटिमा रहे हैं। इसी तरह पटाखा लाइट का जलवा भी आपको दुकान पर ठहरने को विवश कर देगा। इसकी खासियत यह है कि रोशनी के साथ यह लाइट पटाखों जैसी आवाज निकालती है।
पटाखा लाइट से रोशनी भी धमाके भी
नाका हिंडोला क्षेत्र के व्यापारी सतपाल सिंह मीत बताते हैं कि पटाखा लाइट चर्चा में रहती है। यह रिमोट से चलती है। इसकी कीमत बाजार में 1500 से 2200 के बीच है। यह लोगों का पसंदीदा आइटम है। लड़ियों की संख्या के हिसाब से कीमत कम और ज्यादा होती है। तो धनिया नया आइटम है। कारोबारी मीत कहते हैं कि इसकी लाइट हरी धनिया के पत्तियों के बीच झिलमिलाते जुगनू का अहसास कराती है। 280 से लेकर 300 रुपये प्रति पीस तक है। बारिश जैसे अंदाज में लड़ों से पानी गिरने का अहसास कराने वाली यह झालर भी महंगी और खूब पसंद की जाने वाली है।
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झालर लटकाने के झंझट से बचना चाह रहे तो ट्री हैं ना
अगर झालर लटकाने और मुख्य दरवाजे पर झालर की रोशनी ठीक ढंग से नहीं पहुंच पा रही है तो इस बार नए तरह के हरे और रंगीन लाइट वाले पेड़ भी हैं। आर्यानगर के राजदीप सिंह छाबड़ा बताते हैं कि यह ''ट्री'' दो फीट से लेकर छह फीट तक की ऊंचाई के हैं। इसकी मध्यम रोशनी लोगों को आकर्षित करने वाली है। अलग-अलग रंगों में यह पेड़ आपको दुकानों पर रुकने को मजबूर कर देंगे। इनकी खूब डिमांड है। इसकी कीमत पांच सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक है।
रॉकेट बल्ब एवं टेंपिल झालर
रॉकेट बल्ब झालर सस्ती है। छाबड़ा के मुताबिक दस से लेकर 450 रुपये तक की टेंपिल लाइट बाजार में है। यह सस्ता आइटम कम लागत में बेहतरीन रोशनी देता है। जलने-बुझने के स्टाइल वाली यह लाइट पसंद की जा रही है। एवरग्रीन आइटम के रूप में इसे माना जाता है।

देशी लाइट ने निकाला चाइनीज का दिवाला
एक दौर था जब चाइनीज लाइट और झालर खूब पसंद की जाती थीं। कम कीमत और छोटी एलईडी वाली इन झालरों की डिमांड थी। लेकिन बीते पांच साल में चीन के इस आइटम पर देशी झालरों ने अपना दबदबा बना दिया। वजह यह है कि इसे फेंकने की नौबत नहीं आती है और इसके बल्ब आसानी से मिल भी जाते हैं। साथ ही इनकी रोशनी और अलग-अलग रंगों में होने वाली झिलमिलाहट साल-दर-साल साथ निभाती है। एक बार झालर खरीद ली तो समझो बरसों की छुट्टी हो गई। इनकी डिमांड देख चीन ने इसे इंडियन लुक में नकल कर भेजा है। लेकिन अब देशी झालर बाजार से गायब हैं।
जीरो वाट वाली लड़ी
पुरानी फैंसी लाइट की तरह चाइना जीरो वॉट वाली लड़ी भी लाई गई है। यह फैंसी लाइट 400 से 500 रुपये में बिक रही है। लाइट वाला पाइप भी नए आइटम में है। इसे घर के कोनों में खड़ा कर दीजिए कमरा रोशन होता रहेगा।

तेल और घी से नहीं पानी से जलते हैं दिये
इसके अलावा एलईडी वाले दिये भी लोगों को खूब आकर्षित कर रहे हैं। इन दियों में तेल या घी का उपयोग नहीं होता है। इसमें पानी का प्रयोग होता है। खाली दिये में पानी भरिए तुरंत ही एलईडी का बल्ब जलने लगेगा। इसकी कीमत 40 से 60 रुपये प्रति पीस तक है।

आर्यनगर, नाका हिंडोला से जुडे़ व्यापारी एवं लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ महामंत्री पवन मनोचा बताते हैं कि बाजार में रौनक है। तमाम आइटम शार्ट हो गए हैं। देशी झालरें बाजार से गायब हो चुकी हैं। वहीं कई ऐसे आइटम हैं जिनकी डिमांड इतनी अधिक की बाजार में ढूंढने पर मिलना मुश्किल हैं।
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