प्रयागराज : एनएचएआई के स्वामित्व वाली भूमि पर वक्फ मदरसा द्वारा अनधिकृत अतिक्रमण पर कोर्ट आश्चर्यचकित

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Published By Vinay Shukla
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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वक्फ मदरसा द्वारा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की भूमि पर अतिक्रमण करने के मामले में आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि यह न्यायालय यह देखकर आश्चर्यचकित है कि वक्फ ने एनएचएआई के स्वामित्व वाली भूमि पर निर्माण किया है और इस संरचना को अलग-अलग व्यक्तियों को किराए पर दे दिया है और इसे वक्फ मदरसा की संपत्ति मानकर किराया वसूल रहा है।

इसे 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' का मामला नहीं कहा जा सकता, क्योंकि विवादित संपत्ति का मालिक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण है, जो केंद्र सरकार, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के नियंत्रण में है। कोर्ट ने मौजूदा वक्फ के पंजीकरण की प्रक्रिया का अवलोकन करते हुए पाया कि याची/वादी ने वक्फ के पंजीकरण के बारे में यह नहीं बताया था कि संपत्ति वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत वक्फ कैसे है। यह माना गया कि एनएचएआई उस भूमि का वास्तविक मालिक था, जिसका पता 2014 में पत्राचार में चला था और तथ्यों को रिकॉर्ड में लाने के लिए संशोधन आवेदन भी प्रस्तुत किया गया था।

कोर्ट ने इसे एक क्लासिक मामला मानते हुए कहा कि वादी को प्रति माह दिया जाने वाला किराया यह मानकर दिया गया था कि संपत्ति वक्फ की है, जबकि वास्तव में वह संपत्ति याची/वक्फ की नहीं थी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने संशोधन आवेदन की अनुमति के खिलाफ वक्फ मदरसा कासिमुल उलूम द्वारा दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। मामले के अनुसार याची ने विवादित संपत्ति को ध्वस्त करने और उस पर नया निर्माण करने से विपक्षी को रोकने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा की मांग करते हुए मुकदमा दाखिल किया और तर्क दिया कि जमीन पर एक मदरसा, मस्जिद और पुलिस चौकी मौजूद थी।

याची के इस दावे के बारे में कि जमीन वक्फ की संपत्ति है, विपक्षियों ने कोर्ट को बताया कि यह वक्फ बोर्ड के पास वक्फ के तौर पर पंजीकृत नहीं है। मुकदमे में विपक्षियों ने संशोधन आवेदन दाखिल किया, जिसे ट्रायल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। उसके बाद याची ने इस आधार पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि संशोधन को अनुमति नहीं दी जा सकती। हालांकि विपक्षी द्वारा कोर्ट को बताया गया कि सहायक अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग, पीडब्ल्यूडी, सहारनपुर को 2014 में राष्ट्रीय राजमार्ग 73 पर सभी निर्माण को मंजूरी देने के लिए पत्र प्राप्त हुआ था, जहां विवादित भूमि है। संशोधन आवेदन इन्हीं घटनाओं को रिकॉर्ड में लाने के लिए दाखिल किया गया था।

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