मुरादाबाद : कमजोर न समझो इन्हें, जीवन देती हैं नारियां

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Published By Pradeep Kumar
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किडनी ट्रांसप्लांट करने वालों में महिलाओं की भागीदारी अधिक

शुभम शर्मा, मुरादाबाद अमृत विचार: कमजोर न समझो इन्हें, जीवन देती हैं नारियां। जी हां, जन्म दायिनी कही जाने वाली महिलाओं ने अपने जीवन को खतरे में डालते हुए खतरे में आए लोगों को जीवनदान भी दिया है। जो अपनत्व और हिम्मत की मिसाल उन्होंने कायम की है, उसे लेकर इनकी जितनी तारीफ की जाए कम है। स्वास्थ्य विभाग में 2011 से अब तक करीब 25 किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं। इनमें एक दर्जन से ज्यादा मामलों में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा सामने आई। कहीं मां ने अपने लाल को तो कहीं मां अपनी लाडली का जीवन बचाने के लिए आगे आईं। किसी ने अपने पति को किडनी दान की। यही नहीं शादी के बाद अपनी बहन और भाई को बचाने के लिए भी कई महिलाओं ने एक मिसाल कायम की है। ऐसे कुछ मुरादाबाद के केस हैं, जिन्हें जानकर नारी शक्ति को सलाम करना तो बनता है।

मुंह बोले भाई की बचाई जान
खून के रिश्तों की ही अहमियत नहीं होती, बल्कि खुद से बनाए रिश्ते भी काफी मोल रखते है। यह मिसाल कायम की एक युवती ने। जिसने अपने मुंह बोले भाई को किडनी दान की थी। यह केस 2012 में सामने आया था। इसे लेकर काफी जांच पड़ताल भी की गई थी। इसके साथ ही 2011 में एक बहन ने बहन को किडनी दान की थी। विशेष बात यह थी कि शादी के बाद इस महिला ने यह फैसला लिया था, जिसमें उसके ससुराल पक्ष के लोगों ने भी उसका हौसला बढ़ाया था।

पति को किडनी देने को बहाया था पसीना
आवास विकास निवासी चूड़ामणि खुद को खुशकिस्मत मानते हैं। उनकी पत्नी ने उन्हें किडनी देने के लिए न केवल हामी भरी, बल्कि प्रक्रिया को लेकर स्वास्थ्य अफसरों से मिलने के लिए खूब पसीना भी बहाया था। 2019 सितंबर में उनकी पत्नी मन कुमारी ने पति को किडनी देने के लिए सीएमओ कार्यालय में आवेदन किया था। सीएमओ ने इसकी अनुमति लेने के लिए फाइल राज्य प्राधिकरण समिति एवं प्रत्यारोपण लखनऊ को भेज दी थी। किडनी दान की इन सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने में मन कुमारी ने बहुत मेहनत की थी।

बेटे व बेटी को मां ने दिया जीवन दान
मां कितनी महान होती है, यह 2018 में आए दो केसों में दिखा। मुरादाबाद के ही अलग-अलग कॉलोनियों की रहने वाली इन महिलाओं में एक ने बेटे और दूसरे ने बेटी को किडनी दान की थी। सीएमओ डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि इन दोनों ही केस को लखनऊ अनुमति के लिए भेजा गया था। उसके बाद किडनी प्रत्यारोपण का को लेकर ऑपरेशन किया गया था।

भाभी ने देवर को दी किडनी
मां-बहन या बेटी ही नहीं भाभी ने भी महिलाओं के महान होने की मिसाल को साबित किया है। 2013 में जब उस युवक को किडनी की समस्या आई तो किडनी दान देने के लिए सबसे पहले भाभी सामने आई थी। परिवार के एक सदस्य की जिंदगी की जो अहमियत इस महिला ने दिखाई थी, पूरा परिवार उन पर फक्र महसूस करता है।

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