शाहजहांपुर: पेशकार, रजिस्ट्रार कानूनगो और कंप्यूटर ऑपरेटर ने बनाया तहसीलदार का फर्जी आदेश...अब होगी FIR
शाहजहांपुर, अमृत विचार। पुवायां तहसील के तत्कालीन पेशकार, रजिस्ट्रार कानूनगो और कंप्यूटर ऑपरेटर तहसीलदार का फर्जी आदेश बनाकर आरसीसीएमएस पोर्टल पर अपलोड करने में फंस गए हैं। डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह के निर्देश पर एडीएम न्यायिक राशिद अली ने जांच की तो जालसाजी का खुलासा हो गया। पता चला कि पेशकार विजय श्रीवास्तव, रजिस्ट्रार कानूनगो दिनेश पांडेय और कंप्यूटर ऑपरेटर धर्मंद्र सिंह ने जमीन के स्वामित्व में हेराफेरी करने के लिए तत्कालीन तहसीलदार अरुण सोनकर का फर्जी आदेश बनाकर जमीन के रिकार्ड में हेराफेरी की है।
डीएम ने तीनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का आदेश पुवायां तहसीलदार राघवेश मणि त्रिपाठी को दिया है। साथ ही कहा है कि रिपोर्ट दर्ज करा कर सूचना जिलाधिकारी को भेज दें। एडीएम की जांच के बाद डीएम की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि मिसिलबन्द रजिस्टर क्रमांक 431 पर दर्ज वाद संख्या टी-202512610201622 ग्राम रम्पुरिया चेतनवाला बनाम शिवकुमार को ऑनलाइन पोर्टल आरसीसीएम पर बिना वैध प्रक्रिया के बदल दिया गया।
इसे ग्राम डुन्डवा की वन्दना कौशल बनाम जसवंत राय के नाम पर अपलोड कर विवादित भूमि गाटा संख्या 83 रकबा 4.860 हेक्टेयर व गाटा संख्या 73 रकबा 1.619 हेक्टयर दर्ज कर दी गई। इस फर्जी आदेश को 25 मार्च 2025 के दिनांक में दर्शाते हुए पोर्टल पर अपलोड किया गया। जबकि यह आदेश पूरी तरह से कूटरचित और फर्जी पाया गया।
अपर जिलाधिकारी न्यायिक की जांच रिपोर्ट और अरुण सोनकर की रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि उक्त आदेश के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर फर्जी हैं और रिपोर्ट भी बिना हस्ताक्षर के प्रस्तुत की गई थी। एडीएम की जांच रिपोर्ट में तत्कालीन पेशकार विजय श्रीवास्तव, आरके दिनेश पांडेय, प्राइवेट ऑपरेटर धर्मेन्द्र सिंह को प्रथम दृष्ट्या दोषी माना गया है। जिलाधिकारी ने तहसीलदार पुवायां को आदेशित किया है कि इन सभी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 338 के तहत एफआईआर दर्ज कर तत्काल कार्रवाई की जाए।
साथ ही, संबंधित थाना प्रभारी को आवश्यक निर्देश जारी करने के लिए पुलिस अधीक्षक को भी अवगत कराया गया है। तहसीलदार पुवायां को आदेशित किया गया है कि सभी दोषियों व लाभ प्राप्त करने वालों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। जिलाधिकारी ने इस कार्रवाई से स्पष्ट किया है कि इस प्रकार की धोखाधड़ी और सिस्टम के दुरुपयोग को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए सभी स्तरों पर ठोस कदम उठाए जाएंगे।
जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि एडीएम की जांच से पता चला था कि तत्कालीन पेशकार, रजिस्ट्रार कानूनगो और कंप्यूटर ऑपरेटर ने फर्जी आदेश बनाकर आरसीसीएमएस पोर्टल पर अपलोड किया है। जिसके बाद तीनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का आदेश किया गया है।
