बदायूं: गंगा के जलस्तर में तेजी से हो रही वृद्धि...नरौरा बैराज से छोड़ा 28 हजार क्यूसेक पानी
बदायूं, अमृत विचार। पहाड़ों और मैदानी इलाकों में हो रही बारिश के चलते हरिद्वार और बिजनौर डेम में पानी बढ़ गया है। जिससे नरौरा बैराज से बुधवार को एक लाख 28 हजार क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया। यह पानी सहसवान की महावा नदी पार करते हुए उसहैत क्षेत्र में पहुंच चुका है, जिससे गंगा का रौद्र रूप दिखा रही है। हालांकि अभी बाढ़ का खतरा नहीं है। शाम को जलस्तर में गिरावट दर्ज की गयी है।
मैदानी इलाकों में बारिश तेजी से हो रही है जबकि पहाड़ों पर भी पानी गिर रहा है। यह सभी पानी हरिद्वार और बिजनौर डैम से होता हुआ नरौरा बैराज में आ रहा है जिससे नरौरा बैराज का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया है। इस खतरे को भांपते हुए नरौरा से मंगलवार की रात 11 बजे गंगा में एक लाख 28 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया जो बुधवार को सहसवान कछला से होता हुआ उसहैत क्षेत्र के माला नगला तटबंध पर पहुंच गया। छोड़ा गया पानी यहां पहुंचने से गंगा ने रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। गंगा ऊपर तक बह रही है। गंगा का जलस्तर बढ़ जाने से ग्रामीण दहशत में हैं। गंगा किनारे के गांवों में खलबली मची हुई है। किसानों ने गंगा किनारे का नजारा देखते हुए अपने पशुओं को भी चराना बंद कर दिया है। गंगा पूरी तरह उफान पर है।
बाढ़ खंड के अनुसार सुबह को बढ़ा हुआ जलस्तर शाम को कम होने लगा। उसहैत और कछला में जलस्तर में गिरावट दर्ज की गयी है। अब पानी और कम होने की संभावना है। एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने की संभावना दो दिन पहले ही व्यक्त की गयी थी। लेकिन अब गंगा का जलस्तर नीचे आ रहा है जिससे तटवर्ती गांवों के किसानों ने राहत की सांस ली है।
कछला गंगा का जल स्तर काफी ऊपर तक पहुंच गया था। बुधवार सुबह खतरे के निशान से एक सेमी नीचे पानी बह रहा था। उसके बाद शाम को जलस्तर कम होने लगा। अब लगातार पानी धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। कछला भागीरथी के दोनो किनारों से लोगों को हटा दिया गया है। मंदिरों पर रहने वालों को भी सतर्क कर दिया गया है।
सहायक अभियंता बाढ़ खंड नेशपाल ने बताया कि गंगा में जलस्तर अचानक बढ़ा और शाम होते होते कम होने लगा। अभी तक बाढ़ की स्थिति नहीं है। सभी तटबंध मजबूत हैं यदि पानी बढ़ता है तो भी चिंता की बात नहीं है। महावा और उसहैत क्षेत्र में स्थिति सामान्य है। अभी कुछ दिन तक इसी तरह गंगा का जलस्तर कम ज्यादा होता रहेगा। यदि पहाड़ों पर बारिश अधिक होती है तो फिर गंगा में पानी अधिक छोड़ा जाएगा।
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