छांगुर बाबा के 14 करीबियों की तलाश में जुटी ATS व STF, तीन टीमें लगातार दे रही हैं दबिश
लखनऊ, अमृत विचार। बलरामपुर में धर्मांतरण कराने के मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी छांगुर बाबा के गिरोह के 14 प्रमुख सदस्यों की तलाश तेज हो गई है। इसके लिए एटीएस और एसटीएफ की टीमें लगी हैं। गिरोह के इन सदस्यों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए तीन टीमें लगातार दबिश दे रही हैं।
उतरौला और आसपास के इलाकाई लोगों से पूछताछ कर आरोपियों का ब्योरा जुटाया जा रहा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक छांगुर बाबा के धर्मांतरण गिरोह का नेटवर्क पूरे देश में फैला है। उसकी जड़े नेपाल तक गहरे तक पैठ बना चुकी हैं।
धर्मांतरण कराने के मुख्य आरोपी छांगुर बाबा गिरोह का अपना अलग नेटवर्क है। उसके गिरोह के 14 सदस्यों की भूमिक प्रमुख मानी जा रही है। इनका नेटवर्क कुछ समय बाद बलरामपुर से निकल कर यूपी के कई जिलों में फैल गया था। एटीएस और एसटीएफ इन 14 फरार सदस्यों को पकड़ने में लग गई है। एसटीएफ की तीन टीमें अलग से लगाई गई है। एडीजी कानून व्यवस्था अमिताभ यश ने बताया कि छांगुर बाबा से मिली जानकारी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
एटीएस सूत्रों के मुताबिक छांगुर बाबा के गिरोह में अधिकतर सदस्य औरैया, सिद्धार्थनगर और आजमगढ़ के लोग हैं, जो अक्सर मधुपुर गांव में रहते थे। इस वजह से एटीएस की टीमें गांव में डेरा डाले हुए है। यह टीम ग्रामीणों से छांगुर बाबा के बारे में जानकारियां जुटाने में लगी है।
ग्रामीणों को इस बात पर हैरान हैं जिस नसरीन, उसके पति व बेटी को वह लोग मुस्लिम समझते थे, वह पहले सिन्धी थे। छांगुर ने उन्हें ब्रेनवॉश कर इस्लाम धर्म कुबूल करा दिया था। नीतू ही नसरीन बनी थी। उसके पति का नाम असली नाम नवीन मोहरा है। झांगुर द्वारा छपवाई गई किताब सदर-ए-तैयबा से आस पास के जिलों में इस्लाम का प्रचार प्रसार किया जाता था। इस किताब को छपवाने के लिए भी विदेशों से फंडिंग की गई थी।
इनकी तलाश तेज
एटीएस के मुताबिक छांगुर बाबा गिरोह के मुख्य सदस्यों में शामिल महबूब, पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर, एमेन रिजवी (कथित पत्रकार), सगीर की तेजी से तलाश की जा रही है। इस गिरोह के कई सदस्यों के खिलाफ आजमगढ़ के देवगांव थाने में भी वर्ष 2023 में एफआईआर दर्ज हुई थी। इसका ब्योरा भी एटीएस ने आजमगढ़ पुलिस से मांगा है।
साइकिल पर अंगूठी बेचता था बाबा
पुलिस के मुताबिक छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन शाह बलरामपुर के रेहरा माफी गांव का रहने वाला है। वर्ष 2010 में वह साइकिल पर अंगूठी, पत्थर और तांत्रिक क्रिया से जुड़े सामान साइकिल से बेचता था। इस दौरान वह झाड़-फूंक भी करने लगा। धीरे-धीरे उसके बारे में यह प्रचार हो गया कि बीमारियों को दूर कर देता है, नौकरी में प्रमोशन दिलाता, आर्थिक लाभ के लिए जादू-टोने करता है।
इसी बीच पांच वर्ष बाद वह ग्राम प्रधान चुना गया। फिर उसने मधुपुर गांव में नया ठिकाना बनाया। यहीं से धर्मांतरण का खेल शुरू किया। छांगुर बाबा धर्म परिवर्तन से जुड़े एक संगठित गिरोह का मास्टरमाइंड है। उसके गिरोह ने गरीब, असहाय, मजदूर, विधवा महिलाओं और कमजोर वर्ग के हिन्दू एवं गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को शादी, रोजगार, इलाज, आर्थिक मदद के बहाने और धमकी देकर धर्मांतरण कराने लगा।
लग्जरी कोठी के लिए बनवाई खुद की सड़क
छांगुर बाबा ने अपना ठिकाना मधुपुर गांव में बनाया। उसने धर्मांतरण से होने वाली अकूत कमाई से लग्जरी कोठी बनवाई। यहां तक जाने के लिए आधा किमी की निजी सड़क बनवाई। जो कम समय में बन कर तैयार हो गई। कोठी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। किले की तरह सुरक्षा के इंतजाम भी किये गये हैं। बिना बाबा की अनुमति के कोई प्रवेश नहीं कर सकता है। सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरो के इंतजाम हैं। एटीएस की जांच में सामने आया कि गिरोह के सदस्यों ने इस्लामिक देशों की लगभग 40 यात्राएं कीं और 40 से अधिक बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन किया गया है।
तैयार कर रहा था राजनीतिक धरातल
छांगुर बाबा धर्मांतरण की आड़ में अपनी राजनीतिक धरातल भी तैयार कर रहा था। सूत्रों के मुताबिक 2005 में उसने करीबी को चुनाव लड़ाकर प्रधान बनाया। इसके बाद 2015 में खुद प्रधान बना। 2022 में बेटे महबूब को चुनाव लड़ाया, लेकिन वह हार गया। उसने बेटे को सियासत में स्थापित करने के लिए धर्मांतरण के जरिए जनाधार बढ़ाने की रणनीति अपनाई। छांगुर बाबा का नेटवर्क बलरामपुर व आसपास के इलाके में ही नहीं सिमटा है। वह एनसीआर के मुरादाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, हरियाणा, महाराष्ट्रा के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी अपना नेटवर्क खड़ा किया है।
