लखनऊ: स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को अब तक नहीं मिला न्याय, टीबी कर्मचारी संघ ने उठाई चार सूत्रीय मांग
लखनऊ, अमृत विचार । उत्तर प्रदेश सहित देश भर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत संविदा पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना महामारी से लेकर टीबी नियंत्रण तक अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा की। सीमित वेतन और संसाधनों के बावजूद इन कर्मियों ने अपने कार्य में कोई कमी नहीं छोड़ी, लेकिन सेवा के दौरान दिवंगत हुए कर्मियों के परिजन आज भी आर्थिक सहायता, अनुकंपा नियुक्ति और बीमा लाभ से वंचित हैं। यह जानकारी टीबी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष करुणा शंकर मिश्रा ने दी है।
उत्तर प्रदेश क्षय रोग वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक संघ ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हुए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को भावुक पत्र भेजकर चार सूत्रीय मांगें रखी हैं। संगठन की तरफ से मांग की गई है। जिसमें दिवंगत कर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। बीमा योजना लागू होने से पहले दिवंगत कर्मियों के परिवारों को 5 लाख की विशेष आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। सभी परिजनों को आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा कवर मिले। पात्र परिवारों की पहचान और सहायता के लिए राज्य स्तरीय विशेष समिति गठित हो।
सांसें बचाने वालों के बच्चों के सपने अधूरे
टीबी कर्मचारी संघ के अनुसार, कई दिवंगत कर्मियों के परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई छूट रही है, विधवाएं मजदूरी करने को मजबूर हैं, और सरकार की ओर से कोई ठोस मदद नहीं मिली है। संगठन ने पत्र में लिखा, जो दूसरों की सांसें बचाते रहे, उनके अपने आज सांसें गिन रहे हैं। पिता गए सेवा में, लेकिन बेटियाँ पढ़ाई छोड़ चुकी हैं। संघ की तरफ से कहा गया कि क्या सरकार अब भी खामोश रहेगी?
मध्य प्रदेश से प्रेरणा, यूपी में देरी क्यों?
संगठन ने मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए बताया कि वहाँ 1 जुलाई 2025 को सरकार ने NHM के दिवंगत कर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश जारी किया, जिससे परिवारों को राहत मिली। उत्तर प्रदेश में भी ऐसे कई मामले लंबित हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यह जीवन और न्याय का प्रश्न
प्रदेश अध्यक्ष करुणा शंकर मिश्रा ने कहा, “यह संविदा या फिर स्थायी का सवाल नहीं, बल्कि जीवन और न्याय का प्रश्न है। जब सेवा और बलिदान समान था, तो राहत और सम्मान भी समान मिलना चाहिए। सरकार को संवेदना को नीति में बदलना होगा।” संगठन को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों पर त्वरित और सकारात्मक निर्णय लेगी, जिससे न केवल प्रभावित परिवारों को राहत मिलेगी, बल्कि उत्तर प्रदेश की जनकल्याणकारी छवि भी मजबूत होगी।
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