मरीजों से जमा कराये गए लाखों रुपये डकार गए जिम्मेदार, नए अधीक्षक के ज्वॉइन करने पर हुआ खुलासा, जानें पूरा मामला
लखनऊ, अमृत विचार : अलीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर इलाज कराने आने वाले मरीजों से जमा करवाए गए लाखों रुपयों के गमन का मामला प्रकाश में आया है। जमा धनराशि सरकारी कोषागार में जमा नहीं कराई गई। इसका खुलासा नए अधीक्षक के ज्वॉइन करने पर हुआ है। खुद को फंसते देख अधीक्षक ने इसकी शिकायत प्रमुख सचिव से की है। अफसर मामले को दबाने में जुट गए है।
अलीगंज सीएचसी के तत्कालीन अधीक्षक डॉ. सोमनाथ के दो साल तक के कार्यकाल में मरीजों के इलाज के लिए पंजीकरण पर्चा, भर्ती मरीज के बेड की फीस जमा करवाई गई, लेकिन वह रुपये सरकारी खाते में नहीं जमा करवाए गए। डॉ. सोमनाथ का मार्च में स्थानांतरण हो गया। उनकी जगह पर गुडंबा सीएचसी से डॉ. विनय कुमार सिंह अधीक्षक बनाए गए। डॉ. विनय ने जिम्मेदारी संभाली। राजस्व मिलान में पंजीकरण शुल्क व दूसरे मद के दो लाख रुपये से अधिक की धनराशि सरकारी कोष में नहीं जमा करवाई गई। उन्होंने अलीगंज सीएचसी से माल स्थानांतरित हो गए बाबू मत्युंजय, अलीगंज के वर्तमान संविदा बाबू विजय, फार्मासिस्ट श्रीश मिश्रा से जानकारी जुटाई, लेकिन किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। ऐसे में डॉ. विनय ने सीएमओ कार्यालय के अफसरों को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी, लेकिन वहां मामले को दबा दिया गया। खुद की गर्दन फंसते देख बचाव के लिए डॉ. विनय सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा को पत्र लिख क्र जांच कराने की मांग की।
सूत्रों के मुताबिक प्रमुख सचिव के निर्देश पर सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने कमेटी बनाकर मामले की जांच शुरू की। सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने पूर्व अधीक्षक डॉ. सोमनाथ सिंह, बाबू मत्युंजय, संविदा बाबू विजय, फार्मासिस्ट श्रीश मिश्रा को अपने कार्यालय बुलाकर पूछताछ की है। इस मामले में पूर्व अधीक्षक डॉ. सोमनाथ का कहना है कि मै अलीगंज सीएचसी का चार्ज देकर नवीन तैनाती स्थल आ गया हूं। मेरी तरफ से मरीजों के जमा रुपये को लेकर कोई गड़बड़ी नहीं की गई है। अलीगंज अधीक्षक डॉ. विनय कुमार सिंह का कहना है कि रुपये गबन मामले की जांच सीएमओ स्तर से की जा रही है।
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