पीलीभीत: खुले में शौच नहीं जाने की अपील...क्योंकि गांव में घूम रहे बाघ और तेंदुआ
पीलीभीत, अमृत विचार। ग्रामीण अंचलों में गांव-गांव सामुदायिक शौचालयों और घरों में व्यक्तिगत शौचालय बनवाए गए हैं। इसके बावजूद लोग खुले में शौच को जा रहे हैं। वहीं बाघ-तेंदुए भी जंगल से बाहर रिहायशी इलाकों के आसपास घूम रहे हैं। ऐसे में मानव-वन्यजीव संघर्ष की प्रबल संभावना बनी हुई है। मामला संज्ञान में आने पर अब पंचायत विभाग गांव-गांव बैठकें आयोजित कर एवं डुगडुगी पिटवाकर ग्रामीणों को खुले में शौच न जाने के प्रति जागरूक करेगा। इस बाबत डीपीआरओ ने सभी सचिवों एवं ग्राम प्रधानों को निर्देशित किया है।
जनपद के न्यूरिया क्षेत्र में तीन ग्रामीणों को मारने वाली हमलावर बाघिन को पकड़ा जा चुका है। इसके बावजूद जंगल से सटे गांवों के आसपास बाघ-तेंदुओं समेत अन्य वन्यजीवों की चहलकदमी देखी जा रही है। पिछले दिनों हमलावर बाघिन को पकड़ने के लिए गांव-गांव मॉनिटरिंग की जा रही थी। इस दौरान वन महकमे ने पाया कि अब भी अधिकांश लोग खुले में ही शौच को जा रहे हैं। ऐसे में मानव-वन्यजीव संघर्ष की संभावना बनी हुई है। इसको लेकर वन एवं वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ भरत कुमार डीके ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर स्थिति से अवगत कराया था। जिस पर जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया था।
इधर अब इसको लेकर पंचायत राज विभाग गांव-गांव बैठकें आयोजित कर एवं डुगडुगी पिटवाकर ग्रामीणों को खुले में शौच के लिए न जाने के प्रति जागरूक करेगा। इस बाबत डीपीआरओ रोहित भारती ने बाघ प्रभावित गांवों के पंचायत सचिवों एवं ग्राम प्रधानों को ग्रामीणों को जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जारी पत्र में कहा कि ग्रामीणों द्वारा गांवों में बने शौचालय का प्रयोग न करके खुले में शौच करने जाते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की प्रबल संभावना बनी रहती है।
उन्होंने सचिवों व प्रधानों को एक सप्ताह के अंदर ग्राम पंचायत में बैठक, रैली और डुगडुगी पिटवाकर ग्रामीणों को इसके प्रति जागरूक करें कि वह घरों में बने या सामुदायिक शौचालय का ही प्रयोग करें ताकि गांव ओडीएफ प्लस मॉडल बने रहने के साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष की संभावना भी पैदा न हो। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में बाहर खुले में शौच को लेकर कोई भी मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटना होती है तो संबंधित पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
