ICU में 'कैथेटर' से होने वाला रक्त संक्रमण एक गंभीर समस्या... एम्स का शोध में हुआ बड़ा खुलासा

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Published By Muskan Dixit
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नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली द्वारा किए गए एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि भारत के अस्पतालों की गहन चिकित्सा इकाइयों (आईसीयू) में भर्ती मरीजों में कैथेटर के उपयोग से रक्त में संक्रमण का खतरा आम है। यह संक्रमण ज्यादातर उन बैक्टीरिया के कारण होता है, जो एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होते हैं। इस वजह से मरीजों को अस्पताल में लंबे समय तक रहना पड़ता है, जिससे इलाज का खर्च बढ़ता है और स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ पड़ता है। 

‘द लांसेट ग्लोबल हेल्थ’ पत्रिका में छपे इस अध्ययन के अनुसार, आईसीयू में ‘सेंट्रल लाइन’ कैथेटर के उपयोग के दौरान हर 1,000 दिनों में औसतन नौ मामले रक्त संक्रमण के सामने आते हैं। इस प्रकार के संक्रमण को ‘सेंट्रल लाइन-एसोसिएटेड ब्लडस्ट्रीम इन्फेक्शन’ (सीएलएबीएसआई) कहा जाता है, जिसे उचित सावधानी से रोका जा सकता है। यह समस्या खासकर भारत जैसे निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मृत्यु और बीमारियों का एक प्रमुख कारण है। 

शोधकर्ताओं ने बताया कि रक्त संक्रमण की निगरानी से स्वास्थ्य प्रणाली को बेहतर बनाने और रोकथाम के उपाय लागू करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अस्पतालों में कैथेटर से होने वाले संक्रमणों की नियमित निगरानी के लिए संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है। यह अध्ययन सात साल के डेटा पर आधारित है, जिसमें भारत के 54 अस्पतालों की 200 आईसीयू से प्राप्त जानकारी का विश्लेषण किया गया। ये आंकड़े ‘इंडियन हेल्थकेयर-एसोसिएटेड इन्फेक्शन’ (एचएआई) नेटवर्क के जरिए जुटाए गए थे।

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