अयोध्या में गंभीर हृदय रोगियों को अक्सर भागना पड़ता है लखनऊ, विशेषज्ञ तो हैं पर संसाधनों के अभाव में नहीं कर पाते इलाज

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Published By Anjali Singh
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अयोध्या, अमृत विचार। धार्मिक नगरी अयोध्या में दिल के मरीजों का सटीक इलाज कराने के लिए मशीनरी नहीं है। राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज में हृदय रोगियों के लिए डॉक्टर तो हैं, लेकिन संसाधनों का अभाव मरीजों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। खासतौर पर कैथ लैब और हृदय रोग विभाग की कमी के कारण मरीजों को गंभीर स्थिति में लखनऊ या अन्य महानगरों का रुख करना पड़ता है।

मेडिकल कॉलेज में हृदय रोगियों के लिए एकमात्र सहारा दवाइयां ही हैं। गंभीर मामलों में मरीजों को हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। हृदय रोग विशेषज्ञों के पास रोजाना 150 मरीजों की ओपीडी होती है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण न तो एंजियोग्राफी हो पाती है और न ही स्टेंट डालने जैसे उपचार मिलते हैं। भदरसा राजापुर माफी के लल्लन प्रसाद का मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। उनका हृदय सिर्फ 25 फीसदी ही काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि वह बड़े महानगरों का चक्कर लगाने में असफल हैं। उतने पैसे नहीं हैं। वह सिर्फ दवाओं के भरोसे ही अपना इलाज करा रहे हैं।

गोल्डन ऑवर में इलाज न मिलने से है खतरा

मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव गुप्ता बताते हैं कि हृदय रोगियों के लिए समय पर उपचार बेहद जरूरी है। हार्ट अटैक जैसी स्थिति में शुरू के एक घंटे का समय ‘गोल्डन ऑवर’ में माना जाता है। इलाज न मिलने से मरीज की जान को खतरा बढ़ जाता है। अगर मेडिकल कॉलेज में कैथ लैब और हृदय रोग विभाग की स्थापना हो जाए तो मरीजों को तुरंत उपचार मिल सकेगा। इससे न केवल जान बचाई जा सकती है, बल्कि मरीजों को लंबी यात्रा और आर्थिक बोझ से भी मुक्ति मिलेगी।

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