Bareilly : 'हक' पर बोले शहाबुद्दीन...सरकार और फिल्म इंडस्ट्री जानती है मुसलमानों की कमजोर कड़ी
बरेली, अमृत विचार। यामी गौतम और इमरान हाशमी की फिल्म हक रिलीज से पहले ही विवाद में घिर गई। सात नवंबर को फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होनी है, मगर मुस्लिम उलमा अब इस कोर्ट रूम ड्रामा की मुखालफत कर रहे हैं। फिल्म को चर्चित शाहबानों केस पर आधारित बताया जा रहा है। इस सब के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन का एक बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री और सरकार को मुसलमानों की कमजोर नफ्ज पर हाथ रखने में महारत हासिल है।
बुधवार को जारी अपने एक बयान में शहाबुद्दीन ने कहा कि आजकल फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को ऐसी फिल्में बनाने का शौक पैदा हो गया है, जिनको हिन्दू-मुस्लिम एंगल दिया जा सके। हक फिल्म भी बिल्कुल इसी तरह है। फिल्म इंडस्ट्री, हुकूमत और मीडिया मुसलमानों की कमजोर नब्ज़ पर हाथ रखने में माहिर है। वहीं दूसरी तरफ हकीकत ये है कि मुसलमानों की कमजोर कड़ी तीन तलाक है। मौलाना ने कहा कि 1985 में शाह बानो केस को लेकर संसद से लेकर सड़क तक हंगामा बरपा था। अब इस केस को आधार बनाकर फिल्म तैयार की गई है। फिल्म में तीन तलाक कानून का मुद्दा भी दिखाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपनी एक मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने तीन तलाक कानून पर उनसे कहा था कि मुस्लिम धर्मगुरु अगर अपनी मजहबी जिम्मेदारी निभाते तो हमें कानून बनाने की कोई जरूरत नहीं थी। सरकार को मजबूरन मुस्लिम महिलाओं की समास्याओं को देखते हुए कानून बनाना पड़ा। बहरहाल जहां तक हक फिल्म देखने की बात है, तो उन्होंने बचपन से लेकर आजतक कभी भी कोई फिल्म नहीं देखी। लिहाजा मुस्लिम महिलाओं से अपील है कि वे भी ये फिल्म नहीं देखें।
