UP: वैमनस्यता फैलाने व अपमानित करने के मामले में आजम खान बरी
विधि संवाददाता,लखनऊ। सरकारी लेटर पैड एवं मोहर का गलत इस्तेमाल कर वैमनस्यता फैलाने और अपमानित करने के मामले में पूर्व मंत्री आज़म ख़ान को एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम आलोक वर्मा ने बरी कर दिया।
विशेष अदालत ने अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि घटना 2014 की बताई जाती है। परंतु वादी अल्लामा अमीर नकवी द्वारा 2019 में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। उन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 468 की व्याख्या करते हुए कहा है कि यह मामला काल बाधित भी हो चुका है। कोर्ट ने बचाव पक्ष के इस कथन को भी स्वीकार किया कि यह रिपोर्ट मौलाना कलवे जव्वाद की ओर से वादी अल्लामा अमीर नकवी द्वारा लिखाई गई है परंतु अल्लामा अमीर नकवी न तो पीड़ित पक्ष है और न ही उन्हें रिपोर्ट दर्ज कराने का कोई विधिक अधिकार था।
कोर्ट में वादी अल्लामा अमीर नकवी ने स्वीकार किया कि उसकी इस प्रकरण में कोई मानहानि नहीं हुई है।
कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 199 की व्याख्या करते हुए कहा है की प्रावधानों के अनुसार कोई पीड़ित व्यक्ति ही परिवाद दाखिल कर सकता है अन्यथा ऐसा परिवाद तभी दूसरा व्यक्ति दाखिल करेगा जब संबंधित व्यक्ति पागल हो अथवा उसकी आयु 18 वर्ष से कम हो।
कोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा है कि कथित प्रेस रिलीज को वादी द्वारा विवेचक को दिया जाना कहा गया है। परंतु वह प्रेस विज्ञप्ति न तो पत्रावली पर है और न ही उसका केस डायरी में कोई हवाला है। कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट कहा है कि सभी बिंदुओं पर गौर करने के पश्चात् न्यायालय इस मत का है कि आरोपी आजम खान के विरुद्ध लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं पाए जाते हैं तथा वह आरोपों से बरी किए जाने योग्य है।
