सहारनपुर: हैदरपुर वेटलैंड को मिली रामसर साइट की मान्यता
सहारनपुर। सहारनपुर मंडल में स्थित हैदरपुर वेटलैंड को रामसर साइट की मान्यता मिलने से यह अंतरराष्ट्रीय ख्याति से जुड़ गया है। जैव विविधता से दुनिया को आकर्षित करने वाला यह वेटलैंड मुजफ्फरनगर और बिजनौर की सीमा पर गंगा और सोलानी नदी के बीच छह हजार 908 हेक्टेयर में फैला है। जहां 300 से ज्यादा पक्षियों …
सहारनपुर। सहारनपुर मंडल में स्थित हैदरपुर वेटलैंड को रामसर साइट की मान्यता मिलने से यह अंतरराष्ट्रीय ख्याति से जुड़ गया है। जैव विविधता से दुनिया को आकर्षित करने वाला यह वेटलैंड मुजफ्फरनगर और बिजनौर की सीमा पर गंगा और सोलानी नदी के बीच छह हजार 908 हेक्टेयर में फैला है। जहां 300 से ज्यादा पक्षियों की प्रजाति और 18 हजार से ज्यादा पक्षी दर्शकों को आकर्षित करते हैं। इसे विकसित करने वाले पूर्व मंडलायुक्त (वित्त सचिव) संजय कुमार ने आज कहा कि भारत में इस वेटलैंड का 47वां और उत्तर प्रदेश में 10वां स्थान है। संजय कुमार के मुताबिक अब यहांपर पक्षियों के संरक्षण के तरीके बदल जाएंगे और केंद्र व राज्य सरकार इसे विकसित करने में अपना भरपूर योगदान दे सकेगी।
इस महत्वपूर्ण वेटलैंड पर पक्षियों, जलीय जीवों, वन्य जीवों की दुर्लभ समेत कई प्रजातियां मौजूद हैं। सहारनपुर मंडल के पूर्व वन संरक्षक वीरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि वर्ष 2016 में मेरठ के तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक मुकेश कुमार ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के साथ मिलकर इसका सर्वे कराया था और सहारनपुर में अपनी नियुक्ति के दौरान तत्कालीन कमिश्नर संजय कुमार ने वन विभाग और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अफसरों और विश्वभर के वैज्ञानिकों की सहायता और मशवरे से इसे शुरू कराया।
उन्हीं के कारण यह रामसर साइट में घोषित हो पाया है। वीके जैन ने कहा कि संजय कुमार और वह और वन विभाग के प्रमुख वन संरक्षक जो पूर्व में वन्य जीव के प्रमुख संरक्षक थे। सभी का इस साइट से जबरदस्त लगाव है। मानव निर्मित हैदरपुर वेटलैंड हस्तिनापुर वन्य जीव सेंचुरी में होने के कारण पहले से ही संरक्षण का दर्जा रखता था और यहांपर शिकार प्रतिबंधित था। 1984 के आसपास गंगा बैराज के निर्माण के दौरान इस स्थल पर यह झील बनाई गई थी।
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बाढ़ आने पर ज्यादा पानी इस झील में चला जाता है। वरिष्ठ आईएएस संजय कुमार बताते हैं कि इस नम भूमि में हिरण सहित 30 से अधिक प्रजातियों के पेड़-पौधे, तीन से अधिक प्रजातियों के पक्षी, 102 प्रजातियों के जल पक्षी, 40 से ज्यादा प्रजातियों की मछली और 10 से ज्यादा स्तनपाई प्रजातियां मौजद हैं।
