चित्रकूट: गहराता जा रहा है ट्रैफिक चौराहे के नामकरण का विवाद, जानें पूरा मामला

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चित्रकूट। ट्रैफिक चौराहे के नामकरण को लेकर हुआ विवाद अब गहराता जा रहा है। सोशल मीडिया में इसको लेकर बतकही अब गालीगलौज पर भी उतर आई है। ऐसे में अगर समय रहते प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने इस पर हस्तक्षेप नहीं किया तो बात बिगड़ भी सकती है। गौरतलब है कि हाल के कुछ दिनों में …

चित्रकूट। ट्रैफिक चौराहे के नामकरण को लेकर हुआ विवाद अब गहराता जा रहा है। सोशल मीडिया में इसको लेकर बतकही अब गालीगलौज पर भी उतर आई है। ऐसे में अगर समय रहते प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने इस पर हस्तक्षेप नहीं किया तो बात बिगड़ भी सकती है। गौरतलब है कि हाल के कुछ दिनों में मुख्यालय के ट्रैफिक चौराहे के नामकरण को लेकर कई मत और पक्ष सामने आए हैं।

एक पक्ष चाहता है कि चौराहे का नाम वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के नाम पर किया जाए तो दूसरा पक्ष इसे महाकवि तुलसीदास के नाम पर कराना चाहता है। जाहिर है, दोनों पक्षों के अपने अपने तर्क और अपना अपना विश्वास है। उधर, एक अन्य पक्ष भी है जो चौराहे का नाम छत्रपति शाहू जी महाराज के नाम पर करने का पक्षधर है।

इस पक्ष का कहना है कि जिले का नाम पहले शाहूजी महाराज के नाम पर किया गया था पर इसे भी बदल दिया गया। ऐसे में कम से कम एक चौराहे का नाम तो उनके पूज्य के नाम पर रख दिया जाए। जिले के संभ्रांत लोगों का मानना है कि किसी भी जगह के नामकरण को लेकर किसी भी मत का विरोध नहीं होना चाहिए क्योंकि सबके अपने अपने तर्क होते हैं पर जब यह बात वादविवाद और बतकही से आगे किसी पर गालीगलौज पर उतर आए तो उचित नहीं।

हाल में सोशल मीडिया पर चौराहे के नामकरण को लेकर जो अपशब्द और गालीगलौज की हद तक सिलसिला चल पड़ा है, वह किसी बड़े विवाद की भी वजह बन सकता है। जनप्रतिनिधियों की भूमिका ऐसे में बहुत अहम हो जाती है। हाल ही में नामकरण को लेकर एक यात्रा को रवाना करने पर भी जनप्रतिनिधि आलोचना के दायरे में आए थे। सूत्रों की मानें तो अब खुलकर जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर बोलने से कतरा रहे हैं।

विवाद कहीं गंभीर रूप न ले ले, इसके लिए प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधियों को भी इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा। खास तौर पर जनप्रतिनिधियों को इस मुद्दे को गंभीर बनने से पहले सभी पक्षों के साथ बैठकर मामला सुलझा लेना बेहतरी और दूरगामी कदम साबित होगा। जनप्रतिनिधियों की भूमिका इसलिए भी अहम है कि ये पक्ष अपनी-अपनी मांग के समर्थन में प्रशासन और उनको ज्ञापन भी दे चुके हैं।

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