अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट से रोक के बाद भी दिया जाता रहा वेतन, जानिये क्या है पूरा मामला 

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Published By Jagat Mishra
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जिले के अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत हैं करीब 120 तदर्थ शिक्षक

अमृत विचार, अयोध्या। शासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रबन्ध तंत्र द्वारा वर्ष 2000 के बाद नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को फिलहाल कोषागार से भुगतान पर ब्रेक लग गयी है। कोषागार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 दिसम्बर 2021 को संज्ञान में लेते हुए अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में वर्ष 2000 के बाद नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को वेतन भुगतान करने से मना कर दिया है। लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि करीब 11 माह पहले जारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी विभाग वर्ष 2000 के बाद नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को जून 2022 तक वेतन का भुगतान कराता रहा। 

जनपद अयोध्या में 50 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय हैं। बताते हैं कि लगभग 120 तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2000 के बाद की है। जून 2022 तक इन तदर्थ शिक्षकों को वेतन भुगतान कोषागार से होता रहा है। लेकिन जब जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय द्वारा जुलाई व अगस्त 2022 का वेतन बिल भुगतान के लिए कोषागार को भेजा गया तो कोषागार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 दिसम्बर 2021 के आदेश का हवाला देते हुए वेतन भुगतान से मना करते हुए वेतन बिलों को लौटा दिया। इसे लेकर जहां 2000 के बाद नियुक्त तदर्थ शिक्षकों में खलबली मची हुई है।

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वहीं इसके पहले जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा तदर्थ शिक्षकों के वेतन भुगतान को लेकर 16 नवम्बर को मुख्य कोषाधिकारी को पत्र भेजा गया था। इस पत्र में कतिपय तत्वों द्वारा की गयी शिकायतों को संज्ञान में न लेकर तदर्थ शिक्षकों के वेतन भुगतान का अनुरोध किया गया था। वहीं वित्त एवं लेखाधिकारी माध्यमिक वीरेश कुमार वर्मा का कहना है कि वर्ष 2000 के बाद तदर्थ शिक्षकों के वेतन भुगतान के सम्बन्ध में निदेशक माध्यमिक शिक्षा से 2 बार मई व अगस्त 2022 में मार्गदर्शन मांगा गया है, लेकिन अभी तक मार्गदर्शन नहीं आया है। जनपद अयोध्या में 2000 के बाद नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को जून तक का वेतन दिया गया है। जुलाई से अभी तक वेतन नहीं दिया गया है। कोषागार को जुलाई व अगस्त का वेतन बिल भेजा गया था जिसे कोषागार ने वापस कर दिया। करीब 15 दिन पहले कोषागार ने जिला विद्यालय निरीक्षक से जवाब मांगा था कि कैसे वेतन दिया जा रहा है? फिलहाल विभाग से भी कोई मार्गदर्शन न आने से तदर्थ शिक्षकों के वेतन के लाले पड़ गये हैं। अब शिक्षकों की गेंद शासन के पाले में है। 

ये बोले जिम्मेदार 
सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि इसका भुगतान सरकार द्वारा नहीं किया जाएगा। इसलिए 2000 के बाद नियुक्त तदर्थ माध्यमिक शिक्षकों के वेतन बिलों को भुगतान से रोका गया है। इस बारे में पत्र भेजा गया था, लेकिन संयुक्त शिक्षा निदेशक या विभाग के किसी उच्चाधिकारी का उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है।
सुधीर कुमार गंगवार, मुख्य कोषाधिकारी, अयोध्या

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