प्रेरणा...स्वरोजगार से जुड़कर महिलाएं भर रहीं उड़ान, परिवार में आर्थिक सहयोग कर निभा रहीं दोहरी जिम्मेदारी 

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Published By Bhawna
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गार्गी चौहान ने समाज के तानों से ऊपर उठकर स्वयं सहायता समूह बनाया और मशरूम की खेती कर अन्य राज्यों में पहचान बनाई

गार्गी चौहान - प्रीति

मुरादाबाद,अमृत विचार। महिलाओं को आत्मनिर्भर व सशक्त बनाने की प्रदेश सरकार की पहल रंग ला रही है। महिलाएं स्वरोजगार से जुड़कर आर्थिक मजबूती के लिए उड़ान भर रही हैं। विभिन्न उत्पादों के माध्यम से महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं बल्कि परिवार के संचालन में सहयोग भी कर रही हैं। उनके उत्पाद जिले समेत विभिन्न राज्यों में खरीदे जा रहे हैं। इससे वह साल में लाखों रुपये का मुनाफा कमाकर अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही हैं।

गार्गी चौहान ने समाज के तानों से ऊपर उठकर स्वयं सहायता समूह बनाया और मशरूम की खेती कर अन्य राज्यों में पहचान बनाई। इससे वह चार महीने में 1.5 लाख का मुनाफा कमा रही हैं। ठाकुरद्वारा के रतुपुरा निवासी गार्गी ने होम साइंस से एमए किया है। गार्गी बताती हैं कि 2012 में शादी के बाद ससुराल वाले बाहर जाकर नौकरी के खिलाफ थे। तब उन्होंने नौकरी की आस छोड़ दी और खुद को घर के कामकाज के लिए समर्पित कर दिया। लेकिन जब 2020 में कोरोना काल आया तो आर्थिक तंगी हो गई। ऐसे में बीडीओ के माध्यम से उन्होंने स्वयं सहायता समूह के बारे में जानकारी ली। गार्गी चौहान ने समूह के लिए आवेदन कर दिया। काफी भाग दौड़ के बाद 2021 में उन्हें सीआईएफ की एक लाख 10 हजार की राशि जारी हुई। इससे उन्होंने अपने खेत में मशरूम की खेती शुरू कर दी। वह बटन और आइस्टर प्रजाति के मशरूम उगा रही हैं। शुरु में नुकसान भी झेलना पड़ा।  अब उत्तराखंड के काशीपुर, जसपुर, ठाकुरद्वारा में मशरूम की डिलीवरी कर रही हैं। वह नए साल पर एयरकंडीशनर प्लांट शुरू कर रही हैं।

शहद से बनाई पहचान 
प्रीति ने न सिर्फ मुरादाबाद में अपनी पहचान बनाई, बल्कि दूसरे राज्यों में भी शहद के स्वाद से नाम कमा रही हैं। प्रीति बताती हैं कि गांव में अभी भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बेटियों और महिलाओं को  घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता। उन्होंने इसका विरोध किया। 2018 में गांव की महिला के साथ मिलकर सर्वोदय स्वयं सहायता समूह का गठन किया। उस समय उन्हें मधुमक्खी पालन के संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं थी। इसलिए काफी परेशानियां आईं। काम बंद होने के कगार पर पहुंच गया लेकिन हार नहीं मानी। बाजार में अच्छा रेस्पॉन्स मिलने के बाद उन्होंने दूसरे राज्यों में कारोबार करना शुरू कर दिया। अब उनके समूह का शहद दिल्ली, फरीदाबाद, देहरादून समेत विभिन्न राज्यों में पहुंच रहा है। वह 15 लाख रुपये सालाना मुनाफा कमा रही हैं। इस कारोबार में उनके साथ 10 महिलाएं भी काम करती हैं। पहले उनके पास 100 डिब्बे थे। अब 500 डिब्बों में शहद बना रही हैं।

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