बरेली: डूडा को मिला बजट, सड़क नगर निगम ने बना डाली
आननफानन ठेकेदार को भुगतान भी कर दिया, डूडा ने शासन को भेजा था प्रस्ताव
बरेली, अमृत विचार। जिस सड़क के निर्माण का प्रस्ताव डूडा (जिला नगरीय विकास अभिकरण) की ओर से शासन को भेजा गया और शासन ने बजट भी डूडा को जारी किया, ठेकेदार को काम देने के चक्कर में वह सड़क नगर निगम के अफसरों ने बनवा डाली। जल्दबाजी भी इस कदर दिखाई कि डूडा के अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगी। आननफानन में ठेकेदार को भुगतान भी कर दिया गया।
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जिस सड़क पर बेवजह नगर निगम का पैसा फूंका गया, वह भाजपा के महानगर अध्यक्ष डॉ. केएम अरोरा के क्लिनिक के सामने से गुजर रही है। इसे बनाने में नगर निगम के अफसरों ने नियमों की तो अनदेखी की ही, दूसरे विभागों के साथ समन्वय भी नहीं दिखाया।
दिलचस्प यह है कि कुछ ही समय पहले शासन ने मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना के तहत बरेली की 12 परियोजनाओं को मंजूरी देकर 144.37 लाख रुपये मंजूर किए थे। इस बजट से नगर निगम क्षेत्र में आने वाली अल्पविकसित बस्तियों में इंटरलाकिंग सड़क और नालियों का निर्माण कराया जाना था। स्वीकृत राशि की पहली किस्त के रूप में 72.185 लाख रुपये जिले को मिले थे। बजट की स्वीकृति के आदेश में यह साफ उल्लेख था कि यह धनराशि समय से डूडा की निर्माण इकाई को उपलब्ध करा दी जाए।
शासन के आदेश में यह भी जिक्र किया गया था कि इस बजट से किन-किन मलिन और अल्पविकसित बस्तियों में क्या काम होने हैं। इनमें वार्ड 14 में ट्यूलिप टॉवर के पीछे नत्थू लाल के घर से रमेश और कुशल के घर तक की पुलिया और भाजपा महानगर अध्यक्ष डॉ. केएम अराेरा के क्लिनिक तक इंटरलॉकिग सड़क और नाली का निर्माण भी शामिल था।
डूडा के इस प्रस्ताव में यह काम 16.77 लाख रुपये के एस्टीमेट से होना था। काम डूडा की निर्माण इकाई को कराना था लेकिन डूडा से पहले ही यह काम नगर निगम के अफसरों ने अपने ठेकेदार से करा डाला और उसे हाथ के हाथ भुगतान भी कर दिया।
एक सड़क को बनाने के लिए दो-दो संस्थाओं से बजट जारी करने को लेकर यह निर्माण भी सवालों के घेरे में है, साथ ही नगर निगम की आर्थिक हालत खराब होने के कारणों में भी शुमार है। नगर निगम के अफसर अब इस प्रकरण में कुछ बोलने तक से बच रहे हैं।
इस मामले में कई बार मुख्य अभियंता बीके सिंह से बात करने की कोशिश के बावजूद उनके फोन पर कॉल रिसीव नहीं हुई। डूडा के पीओ विद्याशंकर पाल ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है। उनके आने के पहले का मामला है। उन्होंने बताया कि डूडा ने सड़क नहीं बनवाई होगी तो बजट भी खर्च नहीं किया गया होगा। डूडा कोई प्रोजेक्ट बनाता है तो उसे नगर निगम को भी भेजती है ताकि वही काम दोबारा नहीं होने पाए।
कोई भी निर्माण कराने से पहले दूसरे विभागों को सूचना देने का है प्रावधान
निर्माणदायी विभागों में कोई भी निर्माण कराने से पहले उसके बारे में दूसरे विभागों से जानकारी साझा करने का प्रावधान है। बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले तक नगर निगम का इंजीनियरिंग विभाग कोई प्रोजेक्ट बनाता था तो वह भी लोक निर्माण विभाग, आरईएस, डूडा समेत दूसरी संस्थाओं को उसकी सूचना भेजता था ताकि सरकारी धन की बर्बादी और श्रम की हानि न हो लेकिन अब काफी समय से नगर निगम में इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। यही रही कि डूडा के प्रोजेक्ट पर अफसरों ने नगर निगम का पैसा फूंक डाला।
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