बरेली: क्या सोचकर बनाए थे जिलाध्यक्ष... कार्यकर्ता खुश होगा, जान लड़ाएगा

सपा प्रमुख के फैसले पर पदाधिकारियों की बेरुखी बरकरार, लोकसभा चुनाव से पहले जिले में तितर-बितर होने लगी पार्टी

बरेली: क्या सोचकर बनाए थे जिलाध्यक्ष... कार्यकर्ता खुश होगा, जान लड़ाएगा

बरेली, अमृत विचार। सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बरेली में शिवचरन कश्यप को जिलाध्यक्ष बनाया जाना पार्टी को रास नहीं आया। नतीजा यह है कि साल भर से ज्यादा समय होने के बावजूद पार्टी का न चुनावी प्रदर्शन बेहतर हुआ है न कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की जिलाध्यक्ष के प्रति निष्ठा जाग पाई है। लोकसभा चुनाव से पहले बूथों को मजबूत करने की योजना भी इसी की भेंट चढ़ती नजर आने लगी है। सोमवार को जिलाध्यक्ष की ओर से बुलाई गई बैठक में प्रदेश कार्यकारिणी के सिर्फ एक चौथाई सदस्य ही पहुंचे तो जाहिर हो गया कि चुनाव में पार्टी संगठन की क्या हालत होने वाली है।

अखिलेश यादव के नेतृत्व में बरेली में दो बार गैर यादव जिलाध्यक्ष बनाने का प्रयोग किया गया है लेकिन दोनों बार पार्टी को यह प्रयोग रास नहीं आया। पहले गैर यादव जिलाध्यक्ष अगम मौर्य के समय में भी पार्टी अनुशासनहीनता से जूझती रही और अब भी जूझ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले जब शिवचरन कश्यप को जिलाध्यक्ष बनाया गया था तो उनके स्वागत समारोह में ही पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने अपना रुख साफ कर दिया था। कुछ ने खुलकर पार्टी प्रमुख के इस फैसले पर विरोध जताया था तो कुछ ने असहयोग शुरू कर अपनी भावनाएं व्यक्त की थीं। इस बीच कई चुनाव हुए और उन चुनावों में भी इसका साफ असर नजर आता रहा। इस बीच शिवचरन कई विवादों में भी उलझे, जिनकी वजह से पदाधिकारियों की बेरुखी और ज्यादा बढ़ गई।

हालत यह है कि लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी बूथों को मजबूत करना चाहती है, लेकिन पार्टी के लोग जिले में पार्टी की कमान ही मजबूत हाथों में होना नहीं मान रहे हैं। विधानसभा चुनाव और निकाय चुनाव में जिस तरह जिले के नेतृत्व पर सवाल उठे, उन्होंने पार्टी की हालत और खराब कर दी। अब लोकसभा चुनाव में भी वही सब कुछ दोहराया जाने लगा है। सोमवार को बूथों को मजबूत करने के लिए जिलाध्यक्ष की ओर से बुलाई गई बैठक को महत्वपूर्ण बताया जा रहा था लेकिन सदस्यों के न पहुंचने पर उसे रद्द कर दिया गया। इससे पहले रविवार शाम तक बैठक की तैयारी की जा रही थी। जिलाध्यक्ष ने व्हाट्सएप ग्रुप पर मेसेज कर सभी पदाधिकारियों को बैठक में अनिवार्य रूप से मौजूद रहने का निर्देश दिया था।

यही मेसेज महानगर अध्यक्ष ने भी ग्रुप पर डाला था लेकिन सोमवार को तय समय पर कोई पदाधिकारी बैठक में नहीं पहुंचा। बरेली में प्रदेश कार्यकारिणी के 12 सदस्य हैं। इनमें से सिर्फ तीन ही पहुंचे। इन्हीं में से एक अपना स्वागत कार्यक्रम भी निर्धा्रित होने की वजह से पहुंचे थे।

... यानी पार्टी के लिए किसी के पास समय नहीं बैठक में न आने वालों ने बताए निजी कारण
बरेली, अमृत विचार : जिलाध्यक्ष की ओर से बुलाई गई बैठक में न जाने के पीछे सभी ने निजी कारण गिनाए हैं। प्रदेश सचिव शुभलेश यादव ने बताया कि बैठक के लिए उनके पास जिलाध्यक्ष का फोन आया था, उसी समय उन्होंने उन्हें बता दिया था कि वह जिले से बाहर हैं। विशेष आमंत्रित सदस्य अरविंद यादव ने बताया कि जिलाध्यक्ष ने उन्हें फोन किया था लेकिन उन्हें बुखार आ रहा है। उन्होंने प्रदेश महासचिव अताउर रहमान को बताया तो उन्होंने जिलाध्यक्ष को यह बात बताने को कहा था लेकिन जिलाध्यक्ष को उन्होंने फोन नहीं किया। भूपेंद्र कुर्मी ने बताया कि उनके बेटे का दिल्ली में प्रैक्टिकल था। इसलिए वह दिल्ली में थे। संजीव सक्सेना ने बताया कि उन्हें बैठक के लिए जिला उपाध्यक्ष रवींद्र यादव ने फोन किया था लेकिन वह दिल्ली में थे और सोमवार रात को लौटे हैं। आदेश यादव ने बताया कि वे सोमवार को एक विवाह समारोह में भाग लेने बरेली से बाहर थे। मनोहर पटेल ने बताया कि उनके पास महानगर अध्यक्ष का फोन आया था। वह बैठक में मौजूद थे। अगम मौर्य, अनीस अहमद कदीर अहमद भी शहर से बाहर थे।

जिलाध्यक्ष की बेबसी... कोई नहीं आया तो बैठक बुलाने से ही मुकरे
एक तरफ जहां बैठक में न जाने वालों ने यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई कि उनके पास जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष की ओर से बैठक में बुलाने के लिए फोन आए थे, वहीं दूसरी तरफ बैठक रद्द होने के बाद जिलाध्यक्ष शिवचरन कश्यप बैठक बुलाए जाने से ही मुकर गए। उन्होंने बताया कि बैठक नहीं बुलाई गई थी। प्रदेश सचिव का स्वागत समारोह था। फोन पर ही कमजोर बूथों के सुझाव लेने थे। सभी सदस्यों के सुझाव ले लिए गए हैं। मनोहर पटेल, विजय पाल और मो. कलीमुद्दीन आए थे, बाकी सदस्य जिले से बाहर थे।

ये भी पढ़ें- बरेली: चंदपुरी बिचपुरी में बन रहीं तीन अवैध कॉलोनी ध्वस्त, बीडीए ने चलाया बुलडोजर