संतकबीरनगर: सदियों की अपनी पहचान खो रहा ढढ़वा ताल, जिले में विलुप्त हो जाएगा कमल और सिंघाड़ा
1400 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले ताल से दर्जनों गांवों की चलती है रोजी-रोटी, कमल के फूल और मछलियों से होती थी भूमिहीन किसानों की आय
धनघटा/ संतकबीरनगर, अमृत विचार। धनघटा तहसील क्षेत्र का ढ़ढ़वा ताल सैकड़ों वर्षों से अपनी विशालता को लेकर जिले में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। 1400 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले ढ़ढ़वा ताल में कभी कमल के फूल और कमलगट्टा पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र होते थे। आसपास बसे दर्जनों गांवों को यह तालाब वर्ष भर रोजगार उपलब्ध कराता था। कमलगट्टा ओर कमल के फूल पड़ोसी जनपदों में भी सप्लाई किये जाते थे। इसके आलावा इस तालाब की रोहू ओर भाकुर मछलियां मण्डियों में अपनी विशिष्ट पहचान रखती थीं। जिले के बाजारों के अलावा गोरखपुर, बस्ती और सिद्धार्थनगर आदि जनपदों की मण्डियों में इस तालाब की मछलियां काफी महंगी बिकती थीं। तालाब की खूबसूरती ऐसी थी कि दूर दराज से लोग इस ताल की खूबसूरती देखने आते थे।
समय ने करवट ली तो प्रशासनिक उदासीनता के चलते इस ताल की खूबसूरती को ग्रहण लग गया। धीरे धीरे तालाब के लगभग 200 एकड़ भूभाग पर अवैध कब्जा हो चुका है। आसपास के लोगों ने तालाब की जमीनों पर कब्जा करके खेती-बाड़ी करना शुरू कर दिया। कमलगट्टा उत्पादन को सरकारी मदद नहीं मिली तो लोगों ने उत्पादन बंद कर दूसरे कार्यों में अपना भविष्य तलाशने लगे। वर्तमान समय में ढ़़ढ़वा ताल में सिर्फ मछली पालन किया जा रहा है। इस कारोबार से लोगों की किसी प्रकार से रोजी रोटी चल रही है।
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शासन की निगाह पड़े तो स्थापित हो सकता है खूबसूरत पर्यटन केंद्र
उत्तर प्रदेश सरकार पर्यटन विकास को लेकर बेहद गम्भीर है। जिले के जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन द्वारा पहल की जाय तो ढ़़ढ़वा ताल पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक बड़ा पर्यटन केंद्र बन सकता है। ऐसा हुआ तो स्थानीय युवाओं को रोजगार के तमाम अवसर तो मिलेंगे साथ ही जिले का भी विकास हो जाएगा।
क्या कहते हैं उप जिलाधिकारी
इस बारे में बात करने पर उप जिलाधिकारी धनघटा उत्कर्ष श्रीवास्तव ने बताया कि ढ़ढ़वा ताल के सुंदरीकरण का प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है। पैमाइश कराकर उसकी सारी भूमि खाली कराई जाएगी और उसे पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित कराने के लिए शासन में पत्राचार किया जाएगा।
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