विचाराधीन मामले में सार्वजनिक बयान देने से बचें, पक्षकारों को हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यास तहखाने में 'पूजा' से संबंधित मामले में पक्षकारों को निर्देश दिया है कि वह इस मामले को लेकर तब तक कोई सार्वजनिक बयान ना दें, जब तक मामला विचाराधीन है। उक्त मामले की सुनवाई को बुधवार के लिए स्थगित करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ ने कहा कि पक्षकार मीडियाबाजी करने से बचें, साथ ही जनता के बीच तब तक बयान मत दीजिए, जब तक मामले का फैसला कोर्ट द्वारा नहीं हो जाता है। 

इसके साथ ही पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अपनी अपील में संशोधन करने के लिए 6 फरवरी तक का समय दिया था, जिसके अनुपालन में मंगलवार को उक्त पक्ष ने संशोधन की अर्जी दी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद समिति द्वारा दाखिल याचिका में वाराणसी कोर्ट के 31 जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद-व्यास तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी गई थी। 

समिति के अधिवक्ता सैयद फरमान अब्बास नकवी ने जिला न्यायाधीश, वाराणसी के आदेश को निष्पादित करने में जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिखाई गई तत्परता पर सवाल उठाते हुए विवादित क्षेत्र की तेजी से सफाई करने और तहखाने के भीतर पूजा-अनुष्ठानों की व्यवस्था करने पर भी आपत्ति जताई। 

दूसरी ओर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मस्जिद समिति ने वाराणसी कोर्ट के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती नहीं दी है, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट को संपत्ति के रिसीवर के रूप में नियुक्त किया गया है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट को बताया कि सीपीसी की धारा 151 के तहत शक्तियों का प्रयोग करके पूजा की अनुमति देने वाला आदेश 31 जनवरी को पारित किया गया।

 इसके तुरंत बाद जिला मजिस्ट्रेट ने अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ काशी कॉरिडोर के गेट नंबर 4 के माध्यम से मस्जिद परिसर में प्रवेश किया और तहखाने का ताला खोल दिया गया, जिसके बाद क्षेत्र में नियमित पूजा शुरू हो गई।

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