प्रयागराज: दूरस्थ गवाहों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तकनीक के उपयोग पर डीजीपी से जवाब तलब

प्रयागराज: दूरस्थ गवाहों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तकनीक के उपयोग पर डीजीपी से जवाब तलब

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गत दिनों उत्तर प्रदेश राज्य, विशेष रूप से गाजियाबाद जिले में न्यायालयों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नियमों 2020 का अनुपालन न करने पर संज्ञान लेते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की थी। इसी मामले में कोर्ट ने गवाही दर्ज करने के लिए सरकारी अधिकारियों को एक जिले से दूसरे जिले में जाने की आवश्यकता को कम करने और सबूत इकट्ठा करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से निर्देश जारी किए हैं। 

कोर्ट ने साक्ष्य दर्ज करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तकनीक का उपयोग करने हेतु राज्य, पुलिस अधिकारियों और अभियोजन निदेशक को समन्वित प्रयास करने का आदेश दिया। कोर्ट ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि संबंधित अदालत का प्रयास अभियोजन पक्ष के उन गवाहों के साक्ष्य को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रिकॉर्ड करना होना चाहिए, जो अदालत के क्षेत्राधिकार से बाहर हैं। यह निर्देश न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की पीठ ने श्रीमती अंजू मधुसूदनन पिल्लई के दहेज क्रूरता मामले में गाजियाबाद की जिला अदालत के आदेश को रद्द करने के लिए दाखिल आवेदन पर पारित किया। इसके साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नियमों, 2020 के बुनियादी ढांचे को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह अभियोजन पक्ष के गवाहों और निजी पक्षों के लाभ के लिए स्थापित किया गया है। 

इसके अलावा कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक, लखनऊ, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उन गवाहों/सरकारी सेवकों के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साक्ष्य दर्ज करने हेतु संबंधित अदालत के समक्ष आवेदन दाखिल किए जाएं जो उस जिले से बाहर तैनात हैं,जहां मामला चल रहा है। मामले की अगली सुनवाई आगामी 18 अप्रैल 2024 को सुनिश्चित की गई है।

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